फिर काली न हो 16 दिसंबर
16 दिसंबर भारत और पाकिस्तान
दोनों के लिए भारी है। कल जब पाकिस्तान 16 दिसंबर पर मातम पसर रहा था तभी देश की
राजधानी दिल्ली दामिनी की दूसरी बरसी मना रहा था और बच्चियों की हिफाजत की कसमें
खा रहा था
पूजा मेहरोत्रा
फिर मां रो रही है बाप बिलख
रहा है और घर-घर में मातम है। आज पाकिस्तान के पेशावर का हर घर का आंगन नौ
निहालों के शोक में बिलख रहा है। पूरा विश्व आज इस शोक की घड़ी में पाकिस्तान के
साथ है और एक नजर आ रहा है। शायद ही कोई होगा जो दुखी नहीं होगा। आंतिकयों का घिनौना
चेहरा एक बार फिर इंसानियत को शर्मशार कर गया है। 16 दिसंबर की सुबह जिस तरह से
पेशावर पाकिस्तान के आर्मी स्कूल में आतंकियों ने अपनी बरबरता दिखाई है उससे
पूरा विश्व शर्मशार है। जिस तरह से पाकिस्तान में स्कूली बच्चों पर इन
दहशतगर्दियों ने मौत बरसाई है उसने हमें एक बार फिर सोचने को मजबूर कर दिया है। कोई
इतना बेरहम कैसे हो सकता है? क्या सचमुच उनके सीने में दिल नहीं धड़कता है? मासूमों को बिलखते देख हाथ
क्यों नहीं कांपा उनका? कैसे वे मासूमों पर गोलियां चला रहे थे क्या कभी उन्हें
किसी से मुहब्बत नहीं हुई मां-बाप, भाई, बेटा-बेटी, संगी-साथी कोई तो प्यारा
होगा उनका भी? जब वे गोलियां चला रहे थे तो मासूमों की चीख पुकार से क्या सचमुच किसी का
दिल नहीं पिघल रहा था। क्या वे जिन्होंने
ये मौत बच्चों के लिए भेजी थी वे चैन से सो पा रहे हैं? कैसा डर चाहते हैं वे हमारे
जीवन में और क्या उन्हें सचमुच लगता है कि हम डर गए हैं। नहीं दहशतगर्दों
गोलियों से कोई नहीं डरता आजमा कर देख लो कई मासूम खुद तुम्हारे आगे आ जाएंगे ।
एक बार फिर शहीद होने के लिए तैयार हो जाएगी कतारें लेकिन उन बर्बर जानवरों से भी
बत्तर हो अब समय आ गया है कि तुम्हें नेस्तनाबूद कर दें। ऐसा नहीं है कि सिर्फ
आज वे मांए ही रो रहीं हैं जिनकी उन आंतकियों ने गोद उजाड़ दी है बल्कि वे मांए भी
आज अपनी कोख को कोस रही हैं जिनकी कोख से तुम जैसे हैवानों ने जन्म लिया है।
कश्मीर पर चर्चा हम फिर कभी कर लेंगे अभी बात
सिर्फ दहशतगर्दों की। पाकिस्तान में शरण लिए हुए आतंकी कभी मुंबई में, कभी कश्मीर
में, कभी हैदराबाद में तो कभी दिल्ली में दहशत फैलाते रहे हैं जिसे पाकिस्तान
संरक्षण देता रहा है। भारतीयों से बेहतर इस दुख को कौन समझ सकता है शायद यही वजह
है कि पूरा भारत पाकिस्तान की इस दुख की घड़ी में दुखी है। लेकिन अब एक सलाह है
पाकिस्तान से अब वह जागे और अपनी जमीन पर जिन दहशतगर्दों को पनाह दे रखी है उन
गुनहगारों को उन मुल्कों को सौंप दें जिनके वे गुनहगार हैं। अब पाकिस्तान को यह
भी समझना होगा कि उन गुनहगारों की नजरें देश के भविष्य पर और फरिस्तो पर है। हर
देश का भविष्य उसके नौनिहाल होते हैं मंगलवार को जिस तरह से आतंकियों ने मासूमों
पर ताबरतोड़ गोलियों बरसाई हैं उसे देखने के बाद अब समय आ गया है कि आतंकियों को
देखते ही या तो गोली मार दिया जाए या फिर पता चलते ही फांसी पर लटकाया जाए। ओसामा
बिन लादेन, हाफिज सईद और दाउद इब्राहिम जैसे आतंकवादियों को पनाह देने से बचें क्योंकि
यही चेहरे रूप बदलकर आपको आतंकित कर रहे हैं। ये वही बबूल का पेड़ हैं जिनसे आप आम
निकलने की उम्मीदें लगाए बैठे थे लेकिन आप भूल गए कि बोया पेड बबूल का तो आम कहां
से पाए।
16 दिसंबर को तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने 132
मासूमों को मौत के घाट उतारा है जिस तरह से उन्होंने सिर झुकाए हुए कांपते
थरथर्राते बच्चों पर गोलियां बरसाई है, उनकी शिक्षक को उनके सामने जलाया है, बच्चों
के गले रेत डाले हैं यह कोई इंसान के शरीर में बैठा हैवान या उससे भी कोई खराब शब्द
हो तो वही वहशी कर सकता है। क्या बीत रही है उन मासूमों के दिल पल जिन्होंने
वहशी हरकत को अपने सामने अंजाम होते देखा है। क्या वे काली सुबह को कभी अपनी
जिंदगी से मिटा पाएंगे। ये बच्चे कभी अपने दोस्तों को भूल पाएंगे। क्या मासूमों
की आंखों से ये मंजर, उनकी जेहन से ये मंजर कभी मिट पाएगा। क्या प्रभाव डालेगा ये
मंजर उनके जेहन पर और जीवन पर। काश सभी इस मंजर से सीख लें और सौंगध खाएं कि वे इस
आतंकवाद का विरोध करेंगे और मलाला की तरह वह भी एक मिशाल कायम करेंगे ।
कई खबरिया चैनलों में अखबारों में तहरीके
तालिबान पाकिसतान के प्रवक्ता मोहम्मद खारासानी की बातें छापी हैं जिसमें उसने
कहा है कि सिर्फ बड़े बच्चों को निशाना बनाने के लिए दहशतगर्दों को कहा गया था। क्या वे ये बताएंगे कि बच्चों को टार्गेट किया
ही क्यूं गया था । अगर उन्हें पाकिस्तानी आर्मी में दहशत फैलानी थी या बदला
लेना था तो उनके किसी बैरक पर हमला बोल देते, बच्चों को निशाना क्यों बनाया। यह
कैसा बदला है उनका। आज हर किसी का मन बार
बार एक ही सवाल कर रहा है कि बच्चे ही क्यों। लेकिन क्या सचमुच पाकिस्तान के
हुक्मरानों को समझ आया है या आज इस वक्त में भी वे राजनीति कर रहे हैं। आरोपों
की राजनीति। अब पाकिसतान को समझना होगा कि राजनीति से अलग उनकी जिम्मेदारी देश है
देश की तरक्की और देश की रक्षा भी है समय है कि वे दहशतगर्दों के खिलाफ कड़े कदम
उठाएं। हर किसी के लिए एक सा कानून बनाएं। इस बात को भी समझें कि यदि दाऊद,ओसामा
और हाफिज अगर भारत और विश्व के आतंकी चेहरा हैं वह उनके देश के लिए फरिश्ते नहीं
बन सकते क्योंकि हैवानियत का कोई चेहरा नहीं होता। हैवान सिर्फ हैवान होता है। लेकिन
इन सबके बीच एक बात जो आपको गर्वान्वित कर रही है वह है आपका भारतीय होना। जिस तरह
से भारत सरकार, भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया ने पाकिस्तान के दुख में दुख दिखाया
है और विरोध दर्ज कराया है इसे देख कर ऐसा लगता है जैसे हमला हमारे दिल पर कर दिया
गया है। जिस तरह हमने पाकिस्तान के दर्द को अपना दर्द समझा है। लेकिन अब समय आ
गया है कि पाकिस्तान अब समझ जाए कि दूसरों के दर्द को बढ़ाने की कोशिश में उसका
दर्द बढ़ रहा है। पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ कड़ा फैसला लेना होगा। राजनीति से
अलग रखकर इसे देश का कलंक मानकर सभी राजनीतिक पार्टियों को एकजुट होना होगा। कश्मीर
पर फिर बात हो जाएगी शरीफ साहेब पहले देश के नौनहालो और अपने मसलों को संभालो। फिर
16 दिसंबर इतनी काली न हो।
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