Tuesday 4 October 2016

अभियान... अब तो ऐश्वर्या जैसी नहीं एंजेलिना लड़की चाहिए!

पूजा मेहरोत्रा
हीनता से ग्रस्त भारतीयों के एक वर्ग में गोरी चमड़ी के प्रति आकर्षण वैसे तो बहुत पहले से रहा है लेकिन अब यह नवजातों के रंग-रूप तक पहुंच चुका है। पहले जब महिला गर्भवती होती थी तो परिवार चाहता था कि बच्चा स्वस्थ हो लेकिन आज धनाढ्य परिवार यह चाहने लगा है कि वह सबसे गोरा हो। मां-बाप तक अपनी भावी संतान के रंग को लेकर इस हद तक परेशान रहते हैं कि वे उसके जन्म से पहले ही सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि वह किसी भी कीमत पर गोरी होनी चाहिए। इस चाहत को आजकल फलीभूत कर रही है ‘आइवीएफ तकनीक’। अभी तक इस तकनीक का उपयोग बेऔलाद दंपती बच्चे की चाहत को पूरा करने के लिए करते थे लेकिन अब इसका दुरुपयोग हो रहा है। यदि कोई महिला प्राकृतिक रूप से मां बनने में अक्षम है और वह आइवीएफ तकनीक से मां बनने को तैयार है तो वह ऐसे ‘पुरुष या स्त्री दानदाता’ की मांग कर रही है जिससे उसके परिवार का डीएनए तक बदल जाए और उनका बच्चा सबसे गोरा हो। गोरे बच्चे की मांग भी कुछ वैसी ही है जैसे विवाह के विज्ञापनों में लड़के को डॉक्टर, इंजीनियर और आइएएस बताने वाले गोरी लड़की की मांग करते हुए लिखते हैं: ‘लड़का डॉक्टर है, बहू गोरी चाहिए।’ लड़का शक्ल-सूरत में कैसा क्यों न हो, परिवार वाले गोरी-चिट्टी लड़की ही चाहते हैं। बीच के दशकों में ऐसा लगा था कि वर्ण के प्रति लोगों का झुकाव कुछ बदला है लेकिन सच्चाई यह सामने आ रही है कि कुछ नहीं बदला है बल्कि गोरे रंग की मांग में इधर तेजी ही आई है।
सीन एक : गुड़गांव में आइवीएफ विशेषज्ञ डॉ संदीप तलवार का बोन हॉल क्लीनिक। कई देशी-विदेशी निःसंतान जोड़े एक बच्चा पाने की चाह में इलाज के लिए बैठे हैं। अधेड़ हो रहे एक पुरुष में डॉक्टर शुक्राणु की कमी बताती हैं, तो उसकी पत्नी डॉक्टर से कहती है कि मुझे ऐसे पुरुष का शुक्राणु निषेचित कीजिए जिससे मेरा बच्चा गोरी चमड़ी वाला हो और छह फुट से ज्यादा लंबा हो।
सीन दो : दिल्ली के बंगाली मार्केट से सटे सबसे पुराने डॉ अनूप गुप्ता के एक आइवीएफ सेंटर में भी कई निःसंतान जोड़े आंखों में अपनी संतान का सपना लिए डॉक्टर के इंतजार में बैठे हैं। यहां एक गेहुंए रंग की महिला को बताया जाता है कि उन्हें अंडाणु की जरूरत है। वह महिला जिसका पूरा परिवार गोरा है, अपने आपको सांवली होने की वजह से खूबसूरत नहीं मानती है। वह डॉक्टर से कहती है कि किसी ऐसी महिला का अंडाणु निषेचित करिए, जो खूबसूरत हो, उसकी आंखें नीली हों तथा रंग गोरा हो। सीन तीन : बंगलूरू के डॉ. मनीष बंकर का क्लीनिक। दक्षिण भारतीय जोड़ा एक ऐसी बेटी की चाह में आया है, जो हॉलिवुड अभिनेत्री एंजेलिना जॉली जैसी खूबसूरत हो और अगर यह संभव न हो तो कम से कम वह ऐश्वर्य राय, प्रियंका चोपड़ा और सुष्मिता सेन जैसी सुंदर तो होनी ही चाहिए।
इन जोड़ों को ‘डिजाइनर बेबी’ के बारे में जानकारी पिछले वर्ष की हिट फिल्म ‘विक्की डोनर’ से मिली। इसके एक सीन में दिल्ली के फर्टिलिटी क्लीनिक और आइवीएफ सेंटर पर संतान की चाह रखने वाले जोड़े को सचिन तेंदुलकर, हिृतिक रौशन और विख्यात फुटबॉलर डेविक बेखम के शुक्राणु की मांग करते हुए दिखाया गया था। शायद इस फिल्म का ही असर है कि निःसंतान दंपती ही नहीं, एक-दो बच्चों के मां-बाप भी खूबसूरत और गोरे बच्चे की चाह में इन क्लीनिकों के चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं। जिस दक्षिण भारतीय दंपती की बात ऊपर की गई है, उसे पहले से एक बेटा है मगर बेटी की चाहत है और वह भी एंजेलिना जॉली जैसी!
इन दंपतियों की मांग यहीं खत्म नहीं होती है। कुछ अभिभावक सुंदर बच्चे के साथ-साथ आइएएस, आइपीएस, आइआइटी से पढ़े इंजीनियर, वैज्ञानिक या फिर डॉक्टर पुरुष के शुक्राणु और महिला के अंडाणु की मांग करने से भी नहीं हिचकिचाते हैं। ये जोड़े डॉक्टर से लेकर डोनर तक को भारी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं। डॉ. संदीप तलवार बताती हैं कि ‘गोरे, नीली आांखों वाले बच्चों की सबसे ज्यादा मांग अमीरों में है, खासकर उन अमीरों की जिनका रंग गेहुंआ है।’ मुंबई की आइवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर अंजलि मालपाणी कहती हैं कि ‘गोरे और नीली आंखों वाले बच्चे की चाह रखनेवालों को कम से कम एक से डेढ़ लाख रुपये अधिक खर्च करने पड़ते हैं। कॉकेशियन इंसानों में ऐसी प्रजाति है जिनका रंगा गोरा, बालों का रंग सुनहरा और आंखें नीली और भूरी होती हैं। ऐसे डोनर को कई कागजी कार्रवाइयों से गुजरना होता है। ऐसे में विदेशी डोनर अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य और दिखने के अनुरूप रुपयों की मांग करते हैं और यह मांग १० हजार से एक लाख रु. तक हो सकती है। भारत में ऐसे डोनर कश्मीरी होते हैं। वे बहुत ही कम कीमत पर अपने शुक्राणु दान कर देते हैं।’ आइवीएफ विशेषज्ञ डॉ. अनूप गुप्ता १९९४ से आइवीएफ तकनीक द्वारा कई हजार निःसंतानों को संतान सुख दे चुके हैं। वे बताते हैं कि ‘दुर्भाग्य से भारत में आज भी सांवला होना लड़कियों के लिए एक अभिशाप माना जाता है। ऐसे में मां-बाप को जब हम अंडाणु या फिर शुक्राणु डोनेशन के रूप में लेने की बात करते हैं तो वे अपनी मांगों की लिस्ट हमारे सामने रख देते हैं। उनकी मानसिकता यह होती है कि किसी तरह उनके परिवार में सांवले होने का क्रम टूटे। वे कहते हैं कि ‘हर वर्ग में गोरे बच्चों की चाह बढ़ रही है और जब विकल्प मौजूद है तो सभी इसका फायदा उठा लेना भी चाहते हैं।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंक़ड़ों के अनुसार, भारत में करीब एक करोड़ ९० लाख दंपती निःसंतान हैं और यह संख्या बराबर बढ़ रही है। ये वे दंपती हैं, जो किसी-न-किसी कारणवश मां-बाप बनने के सुख से वंचित हैं। कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी की लाइफ साइंसेज शाखा के अनुसार, भारत में ‘फर्टिलिटी इंडस्ट्री’ में अभी तक लगभग ७५० करोड़ रुपये तक का निवेश हो गया है, जिसमें सात फीसदी कारोबार किराये की कोख से संबंधित है और सबसे बड़ा भाग ७० फीसदी आइवीएफ से संबंधित है। वहीं, इंट्रा-यूटरिन इनसेमीनेशन (आइयूआइ) तकनीक द्वारा संतान सुख पाने वालों का प्रतिशत 22 है। इस तकनीक में शुक्राणु सूई से सीधे गर्भाशय में ऐसे डाला जाता है कि निषेचन की क्रिया 100 फीसदी हो।

एक कोशिश सपनों में रंग भरने की...कास्प दिल्ली की योजना...

मैं जब भी उनकी आंखों में देखती हूं मुझे अनगिनत सपने तैरते नजर आते हैं. उनके टैलेंट के आगे अंग्रेजी स्कूल और कॉन्वेंट स्कूलों से मिले बड़े बड़े सर्टीफिकेट बेमानी से नज़र आते हैं.ये वो बचपन है जो सपने तो अनगिनत देख रहा है लेकिन उसे पूरा कैसे करें उसका उसे कोई ठौर नहीं मिल रहा है...

एक की आंखें खुद को टीचर बनता देखना चाहती हैं और दूसरी की आंखे डॉक्टर..
कुछ कुछ आंखों में सपना डांसर बनने का भी है और कोई तो वो दीदी जैसा बनना चाहती है पत्रकार..
उन सपनों को पूरा करने की पहल में मैंने अपने सपने को दरकिनार कर दिया है...इन बच्चों में इतना दम है कि एक बार बताई बात को हूबहू आपके सामने पेश करने के जुगत में जुट जाते हैं...
इन सपनों के बीच और भी सपने पल रहे हैं...अच्छे जीवन का सपना...साफ सड़क और सुरक्षित जीवन का सपना...जहां पीने का पानी साफ हो..जहां नालियां बजबजाती न हों..
जहां घर से बाहर पूरा कपड़ा पहन कर निकलने के बाद भी आंखें तन के अंदर तक घुस जाने को बेताब न दिखें...
कोमल मन ये सवाल न करे...दीदी हम जब भी निकलते हैं ये सारे अपना खास अंग क्यों पकड़ लेते हैं?
अंग अपना वो पकड़ते हैं और चरित्र हमारा क्यों खराब हो जाता है?
दीदी कल मुझे एक गंदे से लड़के ने कुछ गलत कहा ...आपने कहा था मां को बताना....दीदी मैंने मां को बताया था....मां ने मुझे स्कूल जाने को कुछ दिन के लिए मना कर दिया है...और डांटा भी कि मैंनें आंखों में काजल लगाया था ...इसलिए मुझे उसने ऐसा कहा...

इन बिखरते सपनों और सवालों के बीच झूलती मैं...लड़कियों को देख कर अपना अंग वो टटोले और खराब बदचलन लड़कियां क्यों ?
सपने जो जन्म लेते ही मरने के लिए हैं...झुग्गी झोपड़ी के सपने...जो छूना आसमान चाहते हैं लेकिन कई कुचल कर मार दिए जाते हैं...लेकिन इनमें से कुछ हिम्मत करते हैं...और आसमान में सुराख कर देते हैं....अनकही...क्या जवाब दूं?
हर सपने में एक सपना नजर आता है..पिछले दिनों मुझे बच्चों के साथ खासकर बच्चियों के साथ कुछ समय बिताने का मौका मिला..मैं हर एक बच्ची को नाम से जानती हूं..हर एक बच्ची अपने आप में एक कहानी है..हर एक सपने के अंदर एक सपना हर दिन पनप रहा है और टूट रहा है..वो भी कर गुज़रनाा चाहती हैं जिंदगी में लेेकिन कहां? कुछ समय और कुछ जगह..एक बच्ची गजब थिरकती है...पूछा कहां सीखने जाती हो बोली दीदी कल वीडियो देखा था पड़ोस की आंटी के घर में...कटरीना कैफ की थिरकन कई गुना पीछे थी उस दस साल केे सपने के आगे...फिर पता चला कि एक बार   स्कूल में सेल्फ डिफेंस वाले आए थे..कुछ टिप्स दे गईं थी दीदी..मौका न तो प्रैक्टिस का मिला न ही हि्म्मत ही मिली लेकिन आज आपके सामने वो एक बार करना है...और बात करते करते पटक दिया उसने अपने से बड़ी भारी भरकम को...पुलिस में जाना है और ये जो हम लड़कियों को खराब कहते हैं न उन्हें बताना है कि हम नहीं वो हैं खराब...
सपना क्यों न पनपे जब घर में जीताा जागता सपना चल रहा हो...पढ़ने कीी शौकीन...क्यों क्या अच्छा लगता है पढ़ने में..
दीदी सबकुछ ...लेकिन इससे काम नहीं चलेगा... दीदी मैं चार भई बहन हूं...हम सभी पढ़ते हैं..
मां को लगता था कि हम उन्हें झूठ बोलते हैं एक दिन पता चला मां भी पढ़ती हैं... मेरी मां बारहवीं की परीक्षा देंगी...हर बार अच्छे अंक आएं हैं मां के... पहले हम पढ़ने के लिए पढ़ते थे लेकिन अब हमें सिर्फ पढना नहीं बल्कि कुछ करना भी है...मैं या तो डॉक्टर बनूंगी या फिर पुलिस

पिछले दिनो मैं दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती इलाकाा मदनपुर खादर के बच्चों के सपनों से मिली...ये बस बानगी है...ऐसे कई सपने अनगिनत आंखों में तैर रहे हैं....कास्प की मंजू मैम कुछ सपनों में रंग भर चुकीं हैं लेकिन और कितने सपनों के रंग चटक हो पाते हैं....देखना होगा...एक कोशिश है...सपनों में रंग भरने की...
 

Tuesday 12 July 2016

मै यमुना हूं और जीना चाहती हूं...

पूजा मेहरोत्रा
दिल्‍ली हर दिन नई होती जा रही है और उसकी आदि काल से पहचान रही यमुना दिन ब दिन मैली, गंदी और जहरीली होती जा रही है। यमुना को साफ सुथरी अविरल  दिल्‍ली ही नहीं बल्कि पूरा देश देखना चाहता है लेकिन उसकी सफाई सिर्फ सरकार की जिम्‍मेदारी मानी जाती है। दिल्‍ली और दिल्‍ली वाले इसकी सफाई के लिए कुछ करने को तैयार नहीं हैं लेकिन वे सरकार की तरफ उंगली उठाने से कभी नहीं रोक पाते। ऐसा करते समय वे यह भूल जाते हैं कि एक उंगली सरकार की तरफ होती है लेकिन बाकी उंगलिया अपनी ही ओर ही होती हैं। क्‍या सचमुच यमुना की सफाई सिर्फ सरकार की जिम्‍मेदारी है। क्‍या दिल्‍ली और देशवासियों का यमुना के प्रति कोई उत्‍तरदायित्‍व नहीं है ऐसा तब हो रहा है जब कि  यमुना को मैली, गंदी और जहरीली बनाने में अहम योगदान देशवासियों और दिल्‍लीवासियों का है।

यमुना सिर्फ एक नदी नहीं है। यह एक हमारा अतीत है, वर्तमान है और भविष्‍य भी है। यमुना आज जिस हालात में पहुंच चुकी है अगर आज हमने इसे नहीं संवारा तो आने वाली पी‍ढि़या हमें कभी माफ नहीं करेगी। 


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मंजिल देर से मिलेगी लेकिन मिलेगी


ज़िंदगी आपको पल पल राह दिखाती है, आज अचानक एक फोन आया कि आपको किसी से मिलवाना है जल्दी आ सकती हैं..
मैंने कहा जी चार बजे तक पहुंच जाउंगी..
बारिश थी की थमने का नाम नहीं ले रही थी...फिरभी गाज़ियाबाद जिंदाबाद का नारा लगाते हुए घर से निकली और पहुंच गई आनंद बिहार...रिक्शा किया.
बारिश से बचने का तो मतलब ही नहीं था..
.रिक्शा वाला भी मस्त हंस्ता हंसाता रिक्शा चलाता लिए जा रहा था...कहानी यहां से शुरू हुई.
.उसने पूछा मैडम आप वहां जा रहीं है क्या जहां दारू पीकर लड़का लड़की नाचते हैं....
मैंनेउसका मुंह देखा...कहां नाचते हैं..
.जिस जगह मैं गई थी उसके ग्राउंड फ्लोर पर डिस्को था...मैंने कहा-- नहीं.. 
उसने पूछा कितनी देर में आप आ जाएंगी..
मैंने कहा जी ज्यादा से ज्यादा आधे घंटे में..
.बहुत खुश होकर बोला..मैं इंतजार करूंगा..
.मैंने कहा नहीं नहीं आप जाओ, यहां रहते हैं रिक्शे वाले मैं आ जाउंगी.
.बोला मेरी दिहाड़ी पूरी हो गई है..अब मैं आराम से रह सकता हूं..
.मतलब वो सुबह से अभी तक अपनी रिक्शा का किराया काट कर ८०० रूपए कमा चुका था..खुश था.
.मैं जो पैसे दे रही थी वो बोनस था..
आज की बड़ी सीख..हर दिन का टार्गेट बनाओ और जब आप उस टार्गेट तक पहुंच जाएं तो मस्ती के लिए काम कीजिए..
मुझे आते आते एक घंटा लग गया और वो जो चुका था..लेकिन सीख दे गया था...
दूसरी सीख..
शायद बहुत बड़ी साख...मॉल में आपके सामान के बदले में कूपन देने वाला था...मुझसे उसने बिल मांगा..बरबस ही मुंह से निकल गया ...वेट..
.बोला..आई विल..
.मैं अभी उसकी तरफ देखती उसने आगे बढ़ कर कहा .
.मैम रिलैक्स...गिव मी योर बिलोंगिग्स..आई टेक केयर ऑफ इट...
मैंने कहा भाई मुझे इतनी इंगलिश नहीं आती..मैं चारों ओर देख रही थी कि क्या रैपिडेक्स तो नहीं पढ़ रहा..
.मैंने पूछा किस कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं...बोला..डिफेंस की...मैंने पूछा पढ़ाई कहां से की है...
बोला...बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से...
मेरे सकपकाने की बारी तो थी लेकिन मैं समझ चुकी थी अगर बड़े सपने पूरे करने हैं तो छोटी मुश्किलों से ऐसे ही लड़ना होगा...
इतनी कहानी लिखने का एक ही मकसद है..पहला टार्गेट बनाओ पूरा करो और खुश रहो...

दूसरा...सपने देखो और उसे पूरा करने के लिए जंग लड़ो...मंजिल देर से मिलेगी लेकिन मिलेगी...
सपने देखने की बारी अब मेरी..

Sunday 24 April 2016

मैं आधे स्टेट का चौथाई मुख्यमंत्री हूं-अरविंद केजरीवाल



पिछले एक साल का लेखा जोखा लेकर बेमिसाल होने का नारा दे रही आप सरकार फिर से नए एजेंडे के साथ नजर आ रही है। अब आपकी नजर सिर्फ दिल्ली पर नहीं है दिल्ली के बहाने पंजाब पर गड़ चुकी है। इस साल उनके जितने भी विज्ञापन आ रहे हैं टीवी पर हों या रेडियो पर या फिर अखबारों में, बैनरों में उन सभी में उनके काम के गुणगान के साथ दिल्ली के अपने साथियों से पूछें का गुनगान भी सुनने को मिल रहा है। सारे विज्ञापन अलग तरीके की मिठास लिए हुए मिल रहे हैं। एक साल में चार बार दिल्ली को कूड़े के ढ़ेर में तब्दील कर चुके केजरीवाल दिल्ली को यूरोप बना देने का वादा कर रहे हैं। लेकिन अगर नगर निगम एमसीडी के पास नहीं आपके पास होगी तब। पंजाब में उन्हें अपनी जीत साफ नजर आ रही है। केजरीवाल का मानना है कि उनकी ही सरकार पंजाब में बनेगी और सबसे पहले वे पंजाब से नशे के कारोबार को खत्म करेंगे। पेश है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूजा मेहरोत्रा से हुई मुलाकात और बातचीत के कुछ अंश।
ऑ़ड इवेन फिर से शुरू कर रहे हैं, इसबार जनता को समस्या न हो उसके लिए क्या खास होगा?
पिछली बार जिस तरह से दिल्ली की जनता ने ऑड ईवेन को सफल बनाया है हमें उम्मीद है कि इस बार भी हमें वैसी ही मदद मिलेगी। ऑड और ईवेन की सफलता से हमें और हमारी टीम को काफी ऊर्जा मिली है। अप्रैल की २२ तारीख से एक बार फिर ऑ़ड और ईवेन शुरू कर दिल्ली सरकार इतिहास रचेगी। पिछली बार जनता को हुई परेशानियों को देखते हुए इसबार हमनें कई नई शुरूआत की योजना भी बनाई है। इस बार जनता के लिए कई सुविधाएं होंगी जिसमें कॉंट्रैक्ट कैरेज के द्वारा प्रीमियम सेगमेंट के ट्रैवलर को वातानुकुलित बसें और अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। महिलाओं के लिए बसों में आधी सीट आरक्षित की जाएंगी। प्रीमियम बसों की बुकिंग मोबाइल एप से होगी और पायलट प्रोजेक्ट पर अभी काम चल रहा है। प्रीमियम बसों की तर्जपर कई नई बसें भी सड़क पर उतारे जाने की योजना है।
                                                 
आप की नजर अब पंजाब पर है, क्या लग रहा हैं पंजाब आपका होगा?
जी बिल्कुल पंजाब आपका ही होगा।
नहीं मेरा नहीं आपका पंजाब?
जी मेरा भी नहीं आपका ही होगा पंजाब भी..
पंजाब की जनता अब अकालियों और कांग्रेसियों को देख देख कर थक चुकी है। अकालियों ने पंजाब के लिए कुछ नहीं किया है। जनता कांग्रेस का शासन भी देख चुकी है, भाजपा का शासन केंद्र में देख ही रही है।  न १५ लाख रुपए आए और न ही अच्छे दिन..जबकि आपकी सरकार ने दिल्ली की जनता से जो भी कहा वह एक साल के भीतर कर दिखाया है। दिल्ली में जो अच्छे काम हो रहे हैं इससे देशवासियों को हमशे आशा बढ रही है।
क्या सचमुच आपको लगता है कि दिल्ली के हालात बदल गए हैं? तब जब आपकी जंग कभी नजीब साहब से तो कभी  केंद्र से चल रही होती है।
मैं क्या करूं आप ही बताईए, केंद्र जिस तरह से हाथ धोकर आपके पीछे और मेरे पीछे पड़ी है इसे देखकर तो यही लगता है। अन्ना मूवमेंट से लेकर अभी तक मुझपर तरह तरह के आरोप ही लगाए जा रहे हैं. मोदी सरकार को लगता है कि इस देश का सबसे बेईमान आदमी मैं ही हूं।
अच्छा, पंजाब में कई समस्याएं है, आप पहले किस समस्या को देश की बड़ी समस्या मानते हैं?
 पंजाब के हमारे युवा बुरी तरह नशे की चपेट में है। नशे की वजह से परिवार के परिवार बर्बाद हो रहे हैं। लोगों की जमीनें बिक रही हैं। मैं गांव गांव जाकर इस समस्या की जड़ की तलाश कर रहा हूं। जब मैं गांव में जाता हूं लोगों से बातचीत करती हूं तो मेरी आंखें खुली रह गईं हैं। नशे का कारोबार गली गली में नेताओं, प्रशासन और पुलिस की मिली भगत से किया जा रहा है। गांव में गलियों में लोगों को पता है कि नशा का कारोबारी कौन है लेकिन एक्शन लेने वाला ही जब चोर हो तो कार्रवाई कौन करेगा।
लेकिन मुझे विश्वास है बहुत जल्दी पंजाब एक बार फिर नशा मुक्त होगा। जिस तरह से गांव में बच्चे आगे आ रहे हैं और कमीटी बना कर नशा मुक्ति अभियान चला रहे हैं वह दिन दूर नहीं जब पंजाब फिर से एक खुशहाल राज्य होगा। हमें उम्मीद है कि हमारी सरकार आएगी तो हम तीन चार महीने के अंदर १०० फीसदी नहीं तब भी लेकिन यह जरूर है कि हम एक बड़े भाग को नशा मुक्त जरूर बनाने में कामयाब होंगे।
दिल्ली को आप स्वराज मॉडल बनाने वाले थे लेकिन आपने बिजली पानी का बिल घटा कर ही अपनी पीठ थपथपा ली है। जबकि दिल्ली में कई और बड़ी समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं.
देखिए, स्वराज मॉडल हमारा मुख्य मुद्दा रहा है। हम उसे बहुत जल्द ही शूरू कर रहे हैं। अभी ३१०० मोहल्ला सभा का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है।  इन सभाओं में युवा भी भाग लेंगे। हम युवाओं के लिए सरकार की खाली जमीन को खाली कराकर उन्हें खेलने की जगह देंगे। १०००० करोड़ का शिक्षा का बजट बनाया था।
हमारे बजट का २५ फीसदी शिक्षा के लिए रखा है। स्कूल में बेसिक्स फैसिलिटी पर ध्यान दिया है। जिसमें सभी सरकारी स्कूलों में टॉयलेट्स, पानी और कक्षाओं का बनाना है। स्कूलों की मैंपिंग कर ली है। ८००० स्कूलों में कक्षाएं बनाई जा रही है। नए स्कूल बनाए जा रहे हैं। १५००० नए टीचर की भर्ती की जा रही है। जॉब के लिए हम स्किल डेवलपमेंट योजनाएं ला रहे हैं।
क्या शिक्षा को फ्री करने की भी कोई योजना है? क्या मिडिल क्लास लोग सरकारी स्कूलों में बच्चे पढ़ा सकेंगे ?
हां हम आने वाले समय में १२ वीं तक एजूकेशन फ्री करने की योजना बना रहे हैं। जबकि आगे की पढ़ाई के लिए सरकार लोन देने की तैयारी भी कर रही है। सरकार १० लाख तक लोन देगी जिसे नौकरी लगने के दो साल बाद लोन चुकाना होगा।
हां जहां तक सरकारी स्कूलों में मिडिल क्लास के बच्चों को पढाने की बात है तो मैं कहना चाहता हूं कि  दो तीन साल में सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूल की तरह पढ़ाई हो जाएगी।

केंद्र सरकार और सीबीआई कभी आपके ऑफिस में, कभी आपके मंत्रियों पर तो कभी आपके अधिकारियों पर आरोप लगाती है तो कभी छापे डालती है। इसकी क्या वजह आपको लगती है?
देखिए, इससे तो साफ है कि मोदी जी को पूरे देश में सबसे ज्यादा बेईमान मैं ही नजर आता हूं। आप ये बताओ मैं क्या करूं अब। काफी मशक्कत के बाद पिछले साल अगस्त में जब मुझे उनसे मिलने का मौका मिला तो मैंने उनसे यही पूछा था कि आप बताओ कि मैं क्या करूं, मैं तो बहुत छोटा सा आदमी हूं, एक आधे स्टेट का चौथाई मुख्यमंत्री हूं। आप इतने बड़े देश के प्रधानमंत्री हैं। अगर आप रोज रोज की खिच खिच बंद कर दीजिए। मैंने उनसे कहा कि आपकी स्वच्छता अभियान से लेकर डिजिटल इंडिया तक सारे काम में मैं आपके साथ हूं। अगर आप हमें काम करने दें तो मैं दिल्ली को यूरोपियन देश से दिल्ली को कंपेयर कर सकेंगे, मैं दिल्ली को चमका दूंगा। लेकिन वो कुछ नहीं बोले।
अब बताओ मैं क्या करूं?
तो उन्होंने क्या कहा?
उन्होंने क्या कहना था उन्होंने कहा कि ये तो आप सारा दिन टेलीविजन पर कहते हुए सुनाई देते हैं, आप कुछ भी नया नहीं कह रहे हैं। मैं क्या करता मैं चुप हो गया।
अब आखिरी सवाल यमुना की सफाई आपके एजेंडा में था क्या वो है, या एक एजेंडा ही था?
जी अभी भी हमारा एजेंडा है यमुना की सफाई। लेकिन यमुना में जो सीवर डाला जा रहा है। तो हम एनडीएमसी और जल बोर्ड से बात चल रही है और पायलट प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है। बिजली की तरह ही अब लोकल एसटीपी के पायलट प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। जहां ३०० घरों को इसमें शामिल किया जाएगा।
यमुना वैसे भी चार मंत्रालयों के अंदर आती है जिसमें उमा भारती से लेकर नायडु जी तक का मंत्रालय और हम भी शामिल हैं। सभी अपनी ढपली अपना राग अलापते हैं। लेकिन हां दिसंबर २०१७ तक हम यमुना सफाई के कई प्रोजेक्ट के साथ सामने होंगे।

                                                      

Wednesday 13 April 2016

अखलेश जी संभालिए प्रदेश को




...नेता रूपी गुंडे चहूं ओर हैं...
वैसे तो गाजियाबाद का बस नाम ही काफी है...जिलों में जिला है ग़ाज़ियाबाद..यहां का नजारा भी कुछ वैसा ही नजर आता है जैसा बासेपुर फिल्म में दिखाया गया था...जरा सी बात पर कट्टे निकल जाते हैं..पुलिसवाले  वारदात होता देख मुंह घुमा कर खड़े हो जाते हैं..मोहल्ले वाले घर की खिड़की में बन रही सेंध से नजारा देखते हैं.. अगर मुहल्ले में मामला आंखों के सामने गलती से घट जाए तो ऐसे व्यवहार करेंगे जैसे मानों की कुछ हुआ ही न हो..हुआ भी हो तो उस समय वो वहां नहीं थे...बस मेरा नाम न आ जाए..आ गया तो मानों वो गुंडा उसके घर में घुसकर उसे माड़ने पहुंच जाएगा क्योंकिं यहां न तो पुलिस का और न ही कानून को किसी का डर है..सब की जेब में कानून घूमता है...गलती किसी की भी हो दोषी हमेशा सामने वाला ही होता है...गाजियावाद में जिसके जेब में लोडेड मामला रखा है कानून तो और प्रशासन और पुलिस उसकी जेब में घुमते नजर आते हैं...मुझे जबसे पता चला है मैं परेशान हूं... आज आवाज न उठाई तो कहीं देर न हो जाए..पता नहीं हर दिन स्कूल बस में जाने वाले बच्चे किस किस डर के साए से गुजर कर स्कूल पहुंचते होंगे और स्कूल बस का ड्राइवर बच्चों को बचाने के लिए कितने जुल्म-ओ-सितम सहता होगा..
गौर फरमाइएगा...
बस ये कल की ही बात है. मुझे भी ये आंखों देखा हाल आज देर शाम पता चला है...परेशान हूं क्योंकि हमारे नौ निहाल इतने डर गए थे कि उन्हें पता ही नहीं चल रहा था कि वे क्या करें..बस के बाहर उन बच्चों के ड्राइवर भैया को पीटा जा रहा था...जैसे फिल्मों में गंदे लोग पिस्तौल निकाल लेते हैं उस गंदे अंकल ने भी पिस्तौल निकाल ली थी...पूरा मोहल्ला ड्राइवर की कोई गलती न होते हुए भी उसे पिटता हुआ देख रहा था...बस में बच्चे डर से चिल्ला रहे थे... इतने डर गए थे कि सब एक दूसरे से चिपक कर रो रहे थे...किसी ने न तो खुद ही कुछ कहा और न पुलिस को बुलाने की ही जहमत उठाई..क्योंकि उस स्कूल बस में उनके बच्चे नहीं थे.और वे खुद डर रहे थे क्योंकि उन्हें उसी मुहल्ले में रहना है और वो गुंडा उनका जीना कहीं हराम न कर दे...
सुबह कुछ साढ़े सात आठ बजे की बात बताई जा रही है. पीली रंग की एक स्कूल बस बच्चे लिए अपनी रफ्तार से जा रही थी...कि अचानक ड्राइवर ने जोर का ब्रेक लगाया..बस के सामने अचानक ही गुंडा रूपी नेता अपनी सफेद सी एसयूवी को मोड रहा था..गाड़ी के अचानक सामने आने के बाद लाख कोशिशों के बाद भी ड़ाइवर उतना कड़ा ब्रेक नहीं लगा पाया क्योंकि बस में बैठे बच्चे महज पांच से सात साल के थे..बस में बच्चे गिर जाते और उन्हें भी चोटें आ सकती थी...
गलती पर ध्यान दिलाते हुए ड्राइवर ने कहा..भैया..सड़क पर गाड़ी लाने से पहले आगे पीछे देखा करो..स्कूल बस है...
लेकिन उस एसयूवी गाड़ी में बस का कोना सट चुका था.. एसयूवी ३० बच्चों से ज्यादा कीमती थी..आनन फानन में उस आदमी ने गाली देते हुए ड्राइवर को गा़ड़ी से नीचे उतारा और बिना गलती के लात घूसों से पीटने लगा...इतना मारा की ड्राइवर के नाक मुंह तक से खून निकलने लगा...
ड्राइवर बाहर मार खा रहा था बच्चे बस डर से चिल्ला रहे थे...जब बच्चों ने देखा कि इस सफेद गाड़ी वाले अंकल ने पिस्तौल निकाल ली है तो उन्होंने भगवान को याद किया कि उसके ड्राइवर भैया को कुछ न हो....
मुहलले वाले मूक दर्शक बने रहे...
मैंने पूछा गाड़ी का नंबर क्या था?
जवाब मिला हम इतने डरे थे कि याद ही नहीं रहा की गाड़ी नंबर ही नोट करें..

स्कूल प्रशासन नाम खराब होने के डर से या बच्चों के डर से चुप रहा...जिस घर के बच्चे को लेने ड्राइवर उस मोहल्ले में गया था..वह भी चुप हैं...लाख मान मनौल्ल के बाद भी किसी ने न तो गाड़ी का नंबर दिया है और न उस शख्स के खिलाफ कोई शिकायत ही की है...क्योंकि वो वैसा ही है....अखिलेश जी आपके राज और राज्य में मैं तो नगर निगम..बिजली..पानी और सड़क से पीड़ित हूं ..हर काम के लिए घूस मांगते हैं अधिकारी...पानी का लगा लगाया कनेक्शन काट दिया जाता है और दुबारा लगाने के लिए पैसे देने पड़ते हैं...बिजली का लोड जिसकी फीस महज १२०० रूपए है उसके लिए ३५००-४००० रुपए मांगा जाता है...ये पीड़ा तो जरा गहरी और बड़ी है लेकिन कल जो बच्चों के साथ हुआ है...वह शर्मनाक और विभत्स है....संभलिए और संभालिए....

Monday 1 February 2016

ताकि बच्चे बने आज्ञाकारी



पूजा मेहरोत्रा
 कई कई बार देखने को मिलता है कि बच्चे अपने माता पिता की बात नही सुनते है। जैसे जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं वैसे वैसे वे अपने बड़ों की बातों को सुनकर अनसुना कर देते हैं। अक्सर ऐसा बच्चे मां के साथ ज्यादा करते हैं। कई बार बच्चो की इन आदतों की वजह से अभिभावको को अपने रिश्तेदारों जानपहचान वालों के सामने शर्मिंदा भी होना पड़ता है। बच्चे माँ बाप से झगड़ा करते हैं और माँ बाप बच्चे की इस तरह की आदतों से परेशान होने लगते हैं।
बच्चे जब तक छोटे होते हैं तो उनका गुस्सा उनकी गलत आदतें सभी को प्यारी लगती है। लेकिन यही गुस्सा और बड़ों की बात ना मानना बढ़ती उम्र के साथ बुरा लगने लग जाता है। ऐसे में माँ बाप के लिए जरुरी हो जाता है कि वे अपने बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाएं। बच्चो को सिखाए कि वे बड़ों की इज़्ज़त करें और उनका कहना माने।
बच्चो को यह एहसास दिलाना होगा कि बड़े उनका बुरा नहीं चाहते हैं। बिना बड़ों की बात मानें वे न तो अपनी ज़िन्दगी में अच्छे से पढ़ पाएंगे और ना आगे बढ़ पाएंगे। इसलिए अपने बच्चों को आज्ञाकारी बनाने के लिए सिखाएं और खुद भी पालन करें

बच्चे अगर बात बात पर जिद करते हैं और उन्हें बार बार समझाने पर भी कोई बात समझ नही आ रही है तो आप शांत रहे, गुस्सा न करें और न चिल्लाएं। कोई बात समझानी है तो शांत रह कर समझाएं, गुस्से या जबरदस्ती से नहीं। वरना बच्चा और भी जिद्दी होता चला जाएगा।

इज़्ज़त देना :-
दूसरो की इज़्ज़त करना महत्वपूर्ण गुण है। और यह आदत बच्चे अपने माँ बाप या अपने आस पास के माहौल से ही सीखते हैं। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि जो आप अपने बच्चों को जो भी सिखाना चाहते हैं, पहले उस पर ख़ुद अमल करना होगा। क्योंकि अगर आप अपने बड़ों की इज़्ज़त करेंगे तो यही चीज़ आपके बच्चे भी आपको करते हुए देख कर सीखेँगे।
अगर आप बात बात पर चिल्लाते हैं, बच्चों के सामने बड़े बुजुर्ग की बातों को बात बात पर काटते हैं या फिर उनकी इज्जत नही करते हैं तो आपको देख कर आपके बच्चे आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करने लगते हैं। वे अपनी बात मनवाने के लिए हर हथकंडे अपनाते हैं। यह हरकते कभी कभी इतना भयानक रूप ले लेती है कि बात तक हाथ से निकल जाती है। बच्चे गलत राहों तक पर निकल जाते हैं।
 आदर करना :-
बच्चे को आज्ञाकारी कैसे बनाये? इसके लिए जरुरी है कि आप बच्चे के लिए कुछ नियम बनाएं जिसे बच्चा माने। लेकिन ख्याल रखें कि नियम ज्यादा नर्म ना हों, नहीं तो बच्चे इसको सिर्फ एक खेल की तरह लेंगे और जब मन करेंगे तब नियमों को तोड़ देंगे।इन दिनो मां बापऔर परिवार वालों की आज के बच्चे बड़ो का आदर नहीं करते हैं। अपने इर्द गिर्द देखिए कि आपका बच्चा इन दिनो किन बच्चो और लोगो के बीच उठ बैठ रहे हैं। आपका अपने बड़ो के प्र ति व्यवहार कैसा  है। अगर आप घर में बुजुर्गो महिलाओं और बचचो के साथ व्यवहार ठीक नही रखेंगे यकीन मानिए बच्चे आपसे ही आदते सीख रहे है।
घर मे बड़े बुजुर्गो का धयान रखने के साथ उनकी छोटी मोटी जरुरतो का धयान रखना, चलने फिरने मेो तकलीफ हो या न हो उनहे सहारा दे ने के लिए हाथ बढ़ाना, महिलाओ बुजुर्गों को यदि आप बैठे हैं तो बैठने के लिए सीट ऑफर करना आदर की निशानी मानी जाती है।
4) इनाम देना :-
जब भी आपका बच्चा आपकी बात माने तो उसे कुछ उपहार में दें, इससे बच्चे को प्रोत्साहन मिलेगा। लेकिन ध्यान रहें आप इसे आदत ना बनाने दें। वरना बच्चा सिर्फ प्रोत्साहन पाने के लिए आपकी बात मानेगा।
जैसे इन दिनो खूब देखने को मिलता है कि अक्सर माता पिता अच्छे नंबर लाने से लेकर प्रतियोगिता मे सफल होने पर ये लाकर देगे वो मांग पूरी कर देंगे जैसे लालच दे देते हैं, अक्सर बच्चे उस लालच में मेहनत से काम करते हैं लेकिन मांग पूरी न होते देख उग्र हो जाते हैं। बच्चो को ऐसे लालच देने से बचें।

योजनाएं तो हैं पर जानकारी नहीं है..महिलाएं बैंक जाएं उनके लिए भी है बहुत कुछ


महिलाओं के लिए बहुत कुछ बैंक के खाते में 
पूजा मेहरोत्रा
महिलाएं बचत करने में माहिर होती हैं। कम खर्च में घर चलाने से लेकर मेहमान नवाजी तक, बच्‍चों की फीस से लेकर बीमारी तक हर काम आसानी से हो जाए और कुछ पैसे रेनी डेज के लिए बच जाएं उसके लिए हर संभव कोशिश में लगी रहती हैं। महिलाओं की बचत की इस आदत को बैंक बखूबी जानते हैं। शायद यही वजह है अधिक से अधिक महिलाओं को बैंक तक लाने के लिए बैंक ने उनके लिए विशेष एकाउंट से लेकर लोन तक की सुविधाएं दे रहे हैं।
वुमन इंपावरमेंट के लिए सरकार बैंकों के साथ मिलकर भी कई योजनाएं चला रही है। जिसमें महिलाओं के जीरो बैलेंस पर एकाउंट खोलने से लेकर अपना व्‍यवसाय शुरू करने की इच्‍छुक महिलाओं को लोन उपलब्‍ध करवाने, एटीएम कार्ड, शॉपिंग, खाने पीने से लेकर मैक्सिमम ट्रांजैक्‍शन आदि तक की सुविधाएं मुहैया करा ही रही है साथ ही बच्‍चों के लिए एकाउंट खोलने की सुविधा दे रही है। अधिक से अधिक महिलाएं बैंक की इन योजनाओं के बारे में जानें और इन योजनाओं का लाभ उनतक पहुंचे इसके लिए जागरूकताा कैंपेन भी चलाती रहती है। बैंक इन योजनाओं का नाम भी महिलाओं के नाम पर ही चला रही है। लेकिन क्‍या सचमुच इन सभी सुविधाओं का फायदा महिलाओं तक पहुंच रहा है या महिलाओं को इसकी जानकारी है।
बैंक एकाउंट खोलने के लिए
 एकाउंट खोलने का प्रोसिजर लगभग हर बैंक का एक सा ही है। बैंक एकाउंट खोलने के लिए ,एड्रेस प्रूफ, फोटो आई काड , पैन कार्ड की आवश्‍यकता होती है। पहचान पत्र के और एड्रेस प्रूफ के लिए वोटर आईडी, राशन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट और बिजली बिल आदि की जरूरत होती है। बैंक समय समय पर अपना टार्गेट पूरा करने के लिए साल में एक या दो बार जीरो बैलेंस एकाउंट खोलने की सुविधा भी मुहैया कराता है। वैसे महिला एकाउंट खोले जाने का प्रोसेस भी जनरल एकाउंट की तरह ही होता है, यहां तक कि डिपोजिट भी। बैंक की पॉलिसी के हिसाब से अधिकतर सरकारी बैंक कि डिपोजिट राशि कम ही होती है जबकि निजी बैंक पांच से दस हजार रुपए तक डिपोजिट रखने की बात करते हैं। वैसे सभी बैंक बीच बीच में जीरो बैलेंस एकाउंट स्‍कीम भी चलाते है। इस योजना के तहत महिलाओं को एकाउंट में निश्चित राशि रखने की बाध्‍यता नहीं होती है।
महिला एकाउंट की सुविधाएं
चूंकि घर की सारी खरीददारी की जिम्‍मेदारी महिलाओं पर ही होती है इसलिए अधिक से अधिक महिलाओं को आकर्षित करने के लिए बैंक महिलाओं के विशेष एकाउंट और एटीएम कार्ड पर खरीददारी के लिए कई तरह की योजनाएं और सुविधाएं भी देते हैं।   
अधिक से अधिक शॉपिंग में डिस्‍काउंट के साथ, कैश बैक ऑफर और डाइनिंग में भी डिस्‍काउंट मुहैया कराती है।
 कुछ बैंक महिला एकाउंट के साथ 18 साल से कम उम्र के बच्‍चों के लिए अलग से एकाउंट खोलने की सुविधा भी देती हैं।
साथ ही बैंक किसी भी एटीएम से ट्राजैंक्‍शन की निशुल्‍क सुविधा के साथ, बीमा की सुविधा भी दे रही हैं।
 क्‍यों पॉपुलर नहीं हैं महिलाओं की बैंक योजनाएं
बैंको द्वारा महिलाओं के लिए कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन बैंक प्रशासन उन योजनाओं के प्रचार प्रसार पर खास ध्‍यान नहीं देती है जिसकी वजह से योजनाओं की जानकारी आम महिलाओं की पहुंच से थोड़ी दूर है और बैंक द्वारा दिए जा रहें लाभ से भी दूर हैं।
बैंक महिलाओं के विशेष बचत खाते पर 0.25 परसेंट तक ब्‍याज बढा कर देना होता है। वहीं लोन पर भी साधारण ब्‍याज की तुलना में महिलाओं को लोन के ब्‍याज में 0.25 से 0.50 परसेंट तक सब्सिडी अधिक दी जाती है।
महिलाओं के लिए बैंक द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी आम और जरूरतमंद महिलाओं तक तक कभी पहुंच ही नहीं पाती है।
अक्‍सर बैंक इन खातों और लोन की जानकारी महिला दिवस पर वुमन इंपावरमेंट के नाम पर जारी करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं।
देश में महिलाओं को छोड दीजिए पुरुष भी फाइनेंसियल मामलों में जागरूक नहीं है या यूं कहें कि समझ नहीं रखते हैं। अगर उन्‍हें यह पता नहीं है कि बैंक के पास उनकी जरूरतों के हिसाब से क्‍या क्‍या योजनाएं हैं और उससे उन्‍हें क्‍या फायदा हो सकता है तो वे उसका फायदा कैसे लेंगे।
बैंक भी अपनी उन्‍हीं योजनाओं का प्रचार प्रसार करता है जिसमें उसे अधिक से अधिक फायदा होता है। जबकि बैंक को और आरबीआई को यह चाहिए कि वह बैंक को उन योजनाओं ब्रांच में ही नहीं बल्कि पोस्‍टर व बैनर के द्वारा प्रचार प्रसार वह इंगिलिश, हिंदी के अलावा लोकल लैंग्‍वेज में भी करे।  वेबसाइट पर दी जानेवाली जानकारी में विशेषतौर पर महिलाओं के लिए दी जा रही सुविधाओं को भी बहुत हाइलाइट नहीं किया गया है।
बैंकों की महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं
विजया बैंक की वी स्‍वशक्ति और वी मंगला
 वी स्‍वशक्ति
विजया बैंक कई वर्षों से महिला उद़यमियों के लिए और उन महिलाओं के लिए जो छोटे व्‍यवसाय शुरू करना चा‍हती हैं उनके लिए ‘वी स्‍वशक्ति’ योजना चला रहा है। जिसके अंतर्गत छोटे व्‍यवसाय और रोजगार शुरू करने के लिए लोन मुहैया कराती है। बैंक टेलरिंग, कैटरिंग, कैंटीन, अचार, मसाला बनाने से लेकर क्‍लीनिक, पापड़ बनाने तक, ब्‍यूटी पार्लर, क्रेच, प्‍ले स्‍कूल, टय़ूशन, कोचिंग क्‍लासेज, लाइब्रेरी, सिरेमिक आदि के साथ, डिर्पाटमेंटल स्‍टोर, हैंडी क्राफट, मेडिकल शॉप, काउंसिलिंग, कैंडिल मेकिंग, हेल्‍थ सेंटर, लांड्री, बेकरी, ट्रेवल एजेंसी आदि के लिए लोन देती है।
बैंक किसे देगी लोन
वी शक्ति लोन के लिए महिला की आयु 18 साल या उससे अधिक होनी चाहिए।
शिक्षा अनिवार्य नहीं है। यह लोन सुविधा उन्‍हीं महिलाओं को बैंक देता है जिनका बिजया बैंक में पहले से एकाउंट होता है।
 महिला एकाउंट हो या फिर जनरल एकाउंट।  
 जिस महिला ने लोन अप्‍लाई किया है उसका बैंक में एकाउंट नहीं है तो बैंक के नियम के अनुसार पहले उन्‍हें बैंक में एकाउंट खुलवाना होगा और कई महीने तक इसमें एक नियम के तहत मिनिमम बैलेंस मेंटेंन करने की बात भी कही जाती है।
बैंक महिलाओं को यह लोन मा‍लिकाना हक और पार्टनरशिप फर्म के लिए भी देता है। नियम के अनुसार बैंक यह लोन महिला को तभी देता है जब संबंधित पार्टनशिप व्‍यवसाय में उसकी पार्टनरशिप कम से कम 51 फीसदी होनी चाहिए।
इस योजना के अंतर्गत बैंक अधिकतम पांच लाख रुपए तक लोन देती है। बैंक कंपनी और मशीनरी के सारे पेपर अपने पास रेहन के रूप में रख लेती है। इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इस योजना में बैंक किसी तरह के गारंटर की मांग नहीं करता है।
वी मंगला
बैंक ने वी मंगला लोन कामकाजी महिलाओं को ध्‍यान में रखकर डिजाइन किया है। इस लोन के तहत बैंक महिलाओं को कार, जूलरी, और दुपहिया खरीदने के लिए लोन देती है।
अधिकतम लोन तीन लाख तक का होता है या 15 महीने की ग्रास सैलरी जो भी हो उसके बराबर का लोन दिया जाता है।
इस लोन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस लोन पर ब्‍याज की दर साधारण ब्‍याज दर से एक फीसदी कम होती है। इसके अलावा महिलाओं के लिए मुफत क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी मुहैया कराती है। इसपर कोई अतिरिक्‍त चार्ज नहीं देना पड़ता है।
लोन के साथ इंश्‍योरेंस कवर भी दिया जाता है ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में लोन की राशि बीमा से पूरी की जा सके।
स्‍टेट बैंक आफ इंडिया का स्‍त्री पैकेज-
 बैंक अपनी एकाउंट धारक महिला ग्राहकों के लिए लोन के इंटरेस्‍ट रेट में 0.25 परसेंट तक की विशेष रियायत देता है। इस लोन का मकसद सिर्फ महिलाओं को इं‍डीपेंडेंट बनाने में मदद करना है। पांच लाख तक के लोन पर बैंक महिलाओं से किसी तरह के कोलेटरल सिक्‍योरिटी भी नहीं लेता है। प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट के साथ आई कार्ड और एड्रेस प्रूफ पर लोन मुहैया कराता है।
बैंक ऑफ इंडिया की प्रियदर्शनी योजना-
बैंक महिलाओं को लोन की सुविधा लघु, मंझोले और कुटीर उदयोग की शुरुआत करने के लिए मुहैया कराता है। बैंक दो लाख तक महिलाओं को लोन देता है और इसकी ब्‍याज दरें साधारण ब्‍याज दरों की तुलना में एक फीसदी कम होती है
बैंक ऑफ बडौदा
वैभव लक्ष्‍मी
बैंक महिलाओं के लिए समय समय पर जीरो बैलेंस एकाउंट खोलता है। यदि महिला काम काजी नहीं और खुद का काम शुरू करना चाहती है तो लोन की विशेष सुविधा मुहैया कराता है। प्रोजेक्‍ट के आधार पर बैंक लोन भी देती है। लोन की राशि प्रोजेक्‍ट के आधार पर ही तय की जाती है। लेकिन बैंक लोन देने के लिए एक गारंटर मांगती है। जबकि महिलाओं के एजूकेशन लोन पर साधारण ब्‍याज दर की तुलना में महिलाओ को एक फीसदी की छूट भी देती है। इस बैंक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अपनी वैभव लक्ष्‍मी स्‍कीम के तहत महिलाओं को घर के जरूरी सामान की खरीददारी के लिए भी लोन देती है। यह लोन पर्सनल लोन की तरह होता है।
केनरा बैंक
केन महिला
बैंक 18 से 55 वर्ष की महिलाओं को लोन मुहैया कराती है। इस स्‍कीम के तहत महिलाएं घर के जरूरी सामान के साथ सोना, जूलरी, कंप्‍यूटर आदि तक खरीदने के लिए लोन ले सकती हैं। बैंक लोन की सुविधा हाउस वाइफ, वर्किंग और इंडीपेंडेंट महिलाओं को देती है।
ओरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स
महिला विकास योजना
यह बैंक महिलाओं को सबसे अधिक राशि यानि दो लाख से लेकर 10 लाख तक की राशि का लोन मुहैया कराता है। यही नहीं महिलाओ ंको ब्‍याज दरों में दो प्रतिशत की छूट भी देता है। 10 लाख से अधिक का लोन लेने पर एक फीसदी तक की छूट दी जाती है। यदि लोन दो लोग मिल कर ले रहे हैं जिसमें एक पुरुष है तो काम में महिला की हिस्‍सेदारी कम से कम 51 फीसदी होनी ही चाहिए। कंडीशन बस एक है कि लोन सात वर्षों में चुकाना होता है।
सिंडीकेट बैक
सिंड महिला शक्ति
सिंडिकेट बैंक महिला की सशक्तिकरण के लिए इस योजना की शुरुआत की है। जिसके तहत उन्‍हें देशभर में 20000 महिला व्‍यवसायियों को लोन देना है। जिसमें महिलाएं माइक्रो, स्‍मॉल और मिडियम आकार के व्‍यवसाय शुरू कर सकती हैं। इस योजना के तहत बैंक महिलाओं को कनशेसनल रेट पर पांच करोड़ तक लोन मुहैया करा रही है। यदि महिला 10 लाख तक का लोन लेती है तो उसे 10;25 परसेंट की दर से ब्‍याज देना होता और जैसे ही लोन की राशि 10 लाख से अधिक होती है .025 परसेंट की छूट मिलती है। लोन का मार्जिन 15 परशेट लोन लेने वाले को खुद ही देना पड़ता है।
इस लोन सुविधा के साथ क्रेडिट कार्ड की सुविधा के साथ ग्‍लोबल डेब्टि कार्ड, एटीमकार्ड, एसएमएस बैंकिंग के साथ सिंड सुरक्षा इंश्‍योरेंस भी मुहैया करा रही है।  यह लोन सात से दस वर्शों के लिए मिलता है।
निजी बैंक
आइसीआईसीआइ
का महिला एडवांटेज वुमन एकाउंट
बैंक का मकसद एक एकाउंट के माध्‍यम से महिलाओं को इंडीपेंडेंट बनाना है। इसलिए बैंक एकाउंट खोले जाने के साथ ही महिलाओं को कई प्रकार की सुविधाएं मुहैया करा रहा है। महानगरों में महिला को एकाउंट को मेंटेन करने के लिए 10000 रुपए रखने होते हैं जबकि सेमी अरबन सिटी में 5000 और गांवों में और भी घट जाती है।
बैंक एकाउंट के साथ ही डेबिट कार्ड देता है जो शॉपिंग और सेंविंग दोनों में ही महिलाओं की सेविंग की आदत को ध्‍यान में रखकर बनाया गया है। कभी कभी बैंक इस योजना के तहत जीरो बैलेंस की योजना भी लाती है। यदि महिला बचत प्रेमी है तो इस एकाउंट के साथ 2000 रुपए तक का रिकरिंग डिपोजिट भी शुरू कर सकती हैं। योजना के तहत विशेष इंतराष्‍ट्रीय महिला डेबिट कार्ड दिया जाता है। जिससे कार्ड धारक महिला एक दिन में 25000 तक खर्च कर सकती है।
एचडीएफसी बैंक
एचडीएफसी बैंक वुमन एकाउंट होल्‍डर महिलाओं को इजी शॉप वुमेंस एडवांटेज कार्ड और लॉकर की सुविधा देता है। इसमें 200 रुपए की खरीदारी पर एक रुपया कैश बैक देता है। जबकि इस एकाउंट के साथ सबसे बड़ी सुविधा यह है कि इस कार्ड से किसी भी बैंक के एटीएम से कितनी भी बार पैसा निकाला जा सकता है। 
 इस योजना के तहत एक निश्चित राशि की खरीदारी के बाद महिला उपभोक्‍ता को कुछ परसेंट पैसा वापस मिल जाता है।
साथ ही एक साल तक लॉकर की सुविधा पर 50 परसेंट की छूट गोल्‍ड बार की खरीद पर देता है। बैंक वुमन बिलों पर पांच परसेंट कैश बैक और 150 रुपए के खर्च पर एक रिवॉर्ड प्‍वाइट भी देता है। यदि बैंक से महिलाएं किसी उघेग के लिए लोन लेती हैं तो उन्‍हे ब्‍याज दरों में 0 दशमलव 25 फीसदी से लेकर 1 परसेंट तक की छूट दी जाती है।
स्‍टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर
महिलाओं को महज 250 रुपए के मिनिमम बैलेंस के साथ बचत खाता खोलने की सुविधा दे रहा है। साथ ही पांच से सात साल के लिए दिए जाने वाले 25 लाख तक के लोन पर ब्‍याज में आकर्षक छूट भी देता है।
बैंक ऑफ महाराष्‍ट्र महिलाओं के लिए कम ब्‍याज दर पर लोन, लंबी भुगतान अवधि और कम मार्जिन जैसी सुविधाएं दे रहा है।  
पंजाब नेशनल बैंक
पीएनबी महिला उदयम निधि स्‍कीम, पीएनबी महिला सम़दिध योजना, स्‍कीम फॉर फाइनेंसिंग क्रेच, पीएनबी कल्‍याणी  कार्ड स्‍कीम, पीएनबी महिला सशक्तिकरण अभियान के तहत योजनाएं चला रही हैं
सुकन्‍या योजना है जिसमें 3 से बच्‍ची के 18 साल तक होने पर अभिभावक मैक्सिमम डेढ लाख रुपए तक एक साल में रुपए जमा कर सकते हैं। यह पैसे बेटी के बड़े होने पर उसकी पढाई, उधोग स्‍थापित करने में उपयोग किया जा सकता है। पीएनबी विमन इंपावरमेंट के लिए कई योजनाएं चला रहा है जिसमें वह बांस की डलिया बनाने से लेकर हवाई जहाज उघोग स्‍थापित करने तक के लिए लोन की सुवधिा यानी 5000 हजार से लेकर पांच हजार करोड़ तक का लोन देना है।
पांच से 25 हजार तक का लोन महिलाओं को एड्रेस प्रूफ और आइडेंटिटी कार्ड पर मुहैया कराया जाता है। इसके लिए बैंक कोई अन्‍य पेपर की मांग नहीं करती है। इसके लिए बैंक मैनेजर और एरिया के प्रतिनिध अहम रोल अदा करते हैं।
जबकि उससे अधिक राशि के लोन के लिए उघोग का प्रोजेक्‍ट से लेकर, महिला कितनी सक्षम है, उसके पास क्‍या क्‍या साधन है वह सब भी देखा जाता है।
सरकार की मुद्रा स्‍कीम
यह लोन खासकर अनऑर्गेनाइज्‍ड सेक्‍टर की महिलाओं को ध्‍यान में रखकर सरकार ने बनाया है जिसे हर बैंक को लागू करना आवश्‍यक है। इस स्‍कीम के तहत घर से उघोग चलाने वालों को बैंक 50,000 से दस लाख तक का लोन देता है।
इस स्‍कीम के तहत डिग्री डिप्‍लोमा की आवश्‍यकता नहीं होती है
गारंटर की जरूरत भी नहीं होती है।
बैंक इस उघोग के प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट को बहुत बारीकी से देखता है जिसमें पैनी नजर उन बातों पर होती है कि लोन लेने वाला अपना सारा खर्च निकालने के बाद ब्‍याज की राशि किस तरह से अदा कर पाएगा।
इस तरह के लोन में प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट बहुत अहम रोल अदा करता है।
जब लोन लेने जाएं तो पेपर क्‍या हो आपके साथ
आप लोन लेने जा रहे हैं तो उसका पूरा प्रोजेक्‍ट प्रॉफिट रिपोर्ट के साथ बनाएं
जहां उघोग लगाना है वहां आपका अपना मकान या आफिस या किराए का मकान है उसकी एग्रीमेंट की कॉपी
आपके क्‍वालीफिकेशन की डिग्री, जिस उधोग को आप लगाने जा रहे हैं उसकी डिग्री
एप्लीकेशन फॉर्म
बचत खाता है या करंट एकाउंट है उसकी तीन से छह महीने की एकाउंट बैलेंस
नो योर कस्‍टमर
फोटोग्राफ
एड्रेस प्रूफ
आइडेंटिटी कार्ड
सरकार की योजना के तहत सीजीटीएमसी (क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्‍ट फॉर माइक्रो एंड स्‍मॉल इंटरप्राइजेज) योजना है जिसमें बैंक एक करोड़ रुपए तक लोन देता है वह भी बिना गारंटर के।
महिलाओं की योजनाओं पर आरबीआई की गाइडलाइन
पब्लिक सेक्‍टर बैंक के लिए आरबीआई ने एक गाइड लाइन जारी की है। जिसके अंतर्गत सभी बैंक को महिला इंपावरमेंट के लिए टोटल लोन टार्गेट का पांच परसेंट सिर्फ महिलाओं को देकर पूरा करना है। आरबीआई ने यह गाइड लाइन 2001 में ही लागू की थी लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि आज तक  बैंक लक्ष्‍य को पूरा करने में असमर्थ दिखाई देते हैं। जब संवाददाता ने विभिन्‍न बैंकों से वुमन एकाउंट और महिलाओं को दिए गए लोन की जानकारी चाही तो बैंक ने असमर्थता जताई।
बैंकों के लिए गठित संसदीय समिति ने महिलाओं को दिए जाने वाले लोन पर विशेष रियायत देने की सिफारिश भी की है। लेकिन उस गाइडलाइन का कितना पालन हो पा रहा है।
अधिक से अधिक महिलाएं बैंक तक आएं इसलिए अब निजी बैंक और सरकारी बैंक महिलाओं के विशेष ब्रांच खेाल रहे हैं। एचडीएफसी बैंक छह मेट्रो सिटीज में एक एक विशेष ब्रांच खोल रहा है जबकि बिहार की राजधानी पटना के आशियाना नगर में एचडीएफसी की विशेष ब्रांच खुल चुकी है

जबकि पंजाब नेशनल बैंक की विशेष महिला ब्रांच दिल्‍ली के विकासपुरी इलाके में खोली गई है। इस ब्रांच में महिलाओं की हर छोटी बड़ी सुवधिा का ध्‍यान रखा जाता है।