पूजा मेहरोत्रा
दिल्ली हर दिन नई होती जा रही है और उसकी आदि काल से पहचान
रही यमुना दिन ब दिन मैली, गंदी और जहरीली होती जा रही
है। यमुना को साफ सुथरी अविरल दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरा देश देखना चाहता है
लेकिन उसकी सफाई सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी मानी जाती है। दिल्ली और दिल्ली
वाले इसकी सफाई के लिए कुछ करने को तैयार नहीं हैं लेकिन वे सरकार की तरफ उंगली
उठाने से कभी नहीं रोक पाते। ऐसा करते समय वे यह भूल जाते हैं कि एक उंगली सरकार
की तरफ होती है लेकिन बाकी उंगलिया अपनी ही ओर ही होती हैं। क्या सचमुच यमुना की
सफाई सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी है। क्या दिल्ली और देशवासियों का यमुना के
प्रति कोई उत्तरदायित्व नहीं है ऐसा तब हो रहा है जब कि यमुना को मैली, गंदी और जहरीली बनाने में अहम
योगदान देशवासियों और दिल्लीवासियों का है।
यमुना सिर्फ एक नदी नहीं है। यह एक हमारा अतीत है, वर्तमान
है और भविष्य भी है। यमुना आज जिस हालात में पहुंच चुकी है अगर आज हमने इसे नहीं
संवारा तो आने वाली पीढि़या हमें कभी माफ नहीं करेगी।
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