Monday 1 February 2016

ताकि बच्चे बने आज्ञाकारी



पूजा मेहरोत्रा
 कई कई बार देखने को मिलता है कि बच्चे अपने माता पिता की बात नही सुनते है। जैसे जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं वैसे वैसे वे अपने बड़ों की बातों को सुनकर अनसुना कर देते हैं। अक्सर ऐसा बच्चे मां के साथ ज्यादा करते हैं। कई बार बच्चो की इन आदतों की वजह से अभिभावको को अपने रिश्तेदारों जानपहचान वालों के सामने शर्मिंदा भी होना पड़ता है। बच्चे माँ बाप से झगड़ा करते हैं और माँ बाप बच्चे की इस तरह की आदतों से परेशान होने लगते हैं।
बच्चे जब तक छोटे होते हैं तो उनका गुस्सा उनकी गलत आदतें सभी को प्यारी लगती है। लेकिन यही गुस्सा और बड़ों की बात ना मानना बढ़ती उम्र के साथ बुरा लगने लग जाता है। ऐसे में माँ बाप के लिए जरुरी हो जाता है कि वे अपने बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाएं। बच्चो को सिखाए कि वे बड़ों की इज़्ज़त करें और उनका कहना माने।
बच्चो को यह एहसास दिलाना होगा कि बड़े उनका बुरा नहीं चाहते हैं। बिना बड़ों की बात मानें वे न तो अपनी ज़िन्दगी में अच्छे से पढ़ पाएंगे और ना आगे बढ़ पाएंगे। इसलिए अपने बच्चों को आज्ञाकारी बनाने के लिए सिखाएं और खुद भी पालन करें

बच्चे अगर बात बात पर जिद करते हैं और उन्हें बार बार समझाने पर भी कोई बात समझ नही आ रही है तो आप शांत रहे, गुस्सा न करें और न चिल्लाएं। कोई बात समझानी है तो शांत रह कर समझाएं, गुस्से या जबरदस्ती से नहीं। वरना बच्चा और भी जिद्दी होता चला जाएगा।

इज़्ज़त देना :-
दूसरो की इज़्ज़त करना महत्वपूर्ण गुण है। और यह आदत बच्चे अपने माँ बाप या अपने आस पास के माहौल से ही सीखते हैं। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि जो आप अपने बच्चों को जो भी सिखाना चाहते हैं, पहले उस पर ख़ुद अमल करना होगा। क्योंकि अगर आप अपने बड़ों की इज़्ज़त करेंगे तो यही चीज़ आपके बच्चे भी आपको करते हुए देख कर सीखेँगे।
अगर आप बात बात पर चिल्लाते हैं, बच्चों के सामने बड़े बुजुर्ग की बातों को बात बात पर काटते हैं या फिर उनकी इज्जत नही करते हैं तो आपको देख कर आपके बच्चे आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करने लगते हैं। वे अपनी बात मनवाने के लिए हर हथकंडे अपनाते हैं। यह हरकते कभी कभी इतना भयानक रूप ले लेती है कि बात तक हाथ से निकल जाती है। बच्चे गलत राहों तक पर निकल जाते हैं।
 आदर करना :-
बच्चे को आज्ञाकारी कैसे बनाये? इसके लिए जरुरी है कि आप बच्चे के लिए कुछ नियम बनाएं जिसे बच्चा माने। लेकिन ख्याल रखें कि नियम ज्यादा नर्म ना हों, नहीं तो बच्चे इसको सिर्फ एक खेल की तरह लेंगे और जब मन करेंगे तब नियमों को तोड़ देंगे।इन दिनो मां बापऔर परिवार वालों की आज के बच्चे बड़ो का आदर नहीं करते हैं। अपने इर्द गिर्द देखिए कि आपका बच्चा इन दिनो किन बच्चो और लोगो के बीच उठ बैठ रहे हैं। आपका अपने बड़ो के प्र ति व्यवहार कैसा  है। अगर आप घर में बुजुर्गो महिलाओं और बचचो के साथ व्यवहार ठीक नही रखेंगे यकीन मानिए बच्चे आपसे ही आदते सीख रहे है।
घर मे बड़े बुजुर्गो का धयान रखने के साथ उनकी छोटी मोटी जरुरतो का धयान रखना, चलने फिरने मेो तकलीफ हो या न हो उनहे सहारा दे ने के लिए हाथ बढ़ाना, महिलाओ बुजुर्गों को यदि आप बैठे हैं तो बैठने के लिए सीट ऑफर करना आदर की निशानी मानी जाती है।
4) इनाम देना :-
जब भी आपका बच्चा आपकी बात माने तो उसे कुछ उपहार में दें, इससे बच्चे को प्रोत्साहन मिलेगा। लेकिन ध्यान रहें आप इसे आदत ना बनाने दें। वरना बच्चा सिर्फ प्रोत्साहन पाने के लिए आपकी बात मानेगा।
जैसे इन दिनो खूब देखने को मिलता है कि अक्सर माता पिता अच्छे नंबर लाने से लेकर प्रतियोगिता मे सफल होने पर ये लाकर देगे वो मांग पूरी कर देंगे जैसे लालच दे देते हैं, अक्सर बच्चे उस लालच में मेहनत से काम करते हैं लेकिन मांग पूरी न होते देख उग्र हो जाते हैं। बच्चो को ऐसे लालच देने से बचें।

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