Sunday 9 August 2015

पैनिक अटैक पर करें अटैक


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अचानक पूरे शरीर में कंपकंपी होना, घुटन की हद तक सांस फूलने लगना, एक अनजाना डर, बेचैनी, सांस छोटी-छोटी लेकिन तेज-तेज आना, ऐसा महसूस होना कि हार्ट अटैक आ गया, अब कुछ नहीं बचा, ऐसा कुछ महसूस किया है आपने? यह पैनिक अटैक है। युवाओं और महिलाओं में इन दिनों खूब देखा जा रहा है। एक्सपर्ट्स से बात करके पूरी जानकारी दे रही हैं पूजा मेहरोत्रा : 
अनीशा के पास हर परेशानी का हल होता है। ऑफिस में अक्सर उसे आखिरी मौके पर भी कोई न कोई बड़ी जिम्मेदारी दे दी जाती लेकिन वह मुस्कुराते हुए बॉस की मुश्किलें आसान कर देती। इस बार भी आखिरी मौके पर उसे एक बड़े प्रॉजेक्ट की जिम्मेदारी दी गई। जिम्मेदारी देते वक्त बॉस ने कहा कि अगर यह प्रॉजेक्ट नहीं मिला तो हम डूब जाएंगे, ऑफिस बंद हो जाएगा, सैकड़ों लोग बेरोजगार हो जाएंगे, तुम इसे संभाल लो। अनीशा दबाव में आ गई और उसे अचानक पूरा ऑफिस घूमता हुआ लगा। हाथों में पसीना और वोमिटिंग की फीलिंग होने लगी। अनीशा बेहोश हो गई। उसे आनन-फानन में हॉस्पिटल ले जाया गया, घंटों की जांच के बाद पता चला कि अनीशा को पैनिक अटैक आया है।



पहचानें पैनिक अटैक को 


- अचानक किसी बात का डर हावी होने लगना - तनाव के साथ दिल की धड़कन का असामान्य गति से तेज होने लगना - पैरों का कांपना - सीने में दर्द और बेचैनी - वोमिटिंग और पेट खराब हो जाना - हार्ट बीट नॉर्मल न रहकर तेज हो जाना - जोर-जोर से दिल धड़कने लगना - छोटी-छोटी बातों पर तनाव होने लगना - ठंड के मौसम में भी गर्मी लगने लगना - अचानक पूरे शरीर में सिहरन होने लगना - बैलेंस खो देना या बेहोशी आ जाना 
अगर शरीर में इस तरह से असामान्य लक्षण दिखने लगें तो ऐसी स्थिति को पैनिक अटैक कहा जाता है। ये ऐसी परिस्थितियां हैं, जिनसे आप चाह कर भी भाग नहीं पाते। 


क्यों होता है यह 
वैसे तो पैनिक अटैक होने की कोई खास वजह नहीं होती लेकिन हां, ये एंग्जाइटी से जुड़ा हो सकता है। डायबीटीज, ब्लड प्रेशर, दिल के मरीज और अस्थमा के मरीजों के लिए इस तरह का अटैक 'वॉर्निंग सिग्नल' हो सकता है। ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए इन बीमारियों के मरीजों को हमेशा ही तैयार रहना चाहिए। 

- पैनिक अटैक कई वजहों से हो सकता है। कई मामलों में पैनिक डिस्ऑर्डर की वजह चिंता, निराशा, उदासीनता भी होती है। - अमेरिका के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की रिसर्च में पता चला है कि पैनिक अटैक एक तरह का 'एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर' है। कई बार किसी तरह का डर और फोबिया भी अटैक का कारण बन सकता है। 


किसी गंभीर बीमारी का है लक्षण 

- पैनिक अटैक के लक्षण कई बार हार्ट अटैक की तरह होते हैं, जिनमें दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है, पसीना आने लगता है, एकदम से सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। - कई बार दिल के मरीज, डायबीटीज के मरीजों में शुगर लेवल कम होने की वजह से और किसी दवा के रिएक्शन, हॉर्मोन डिस्ऑर्डर, अस्थमा, धूल मिट्टी से या किसी चीज से एलर्जी और सांस लेने में किसी तरह की परेशानी भी पैनिक अटैक का कारण बनती है। - पैनिक अटैक की जांच जरूर कराएं क्योंकि इसके और हार्ट डिजीज के लक्षण एक जैसे होते हैं और दोनों की जांच ईसीजी से की जाती है इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति में जांच जरूरी है। 

पैनिक अटैक और हार्ट अटैक में फर्क 

- पैनिक अटैक में इंसान का हाल हार्ट अटैक के जैसा ही हो जाता है लेकिन इसमें दर्द नहीं होता। न सीने में और न ही शरीर के किसी और अंग में। चूंकि दोनों में एड्रेनेलिन हॉर्मोन का स्राव होता है इसलिए कई बार इन्हें सही-सही पहचान कर पाना मुश्किल हो जाता है। - पैनिक अटैक अक्सर तभी होता है, जब आप किसी तरह की मानसिक या शारीरिक परेशानी में हों या जब किसी काम को लेकर कोई चिंता या डर हो। - जांच और इलाज के बाद उन्हें पता चल पाता है कि यह अचानक पैदा हुई समस्या है, जिसमें सांस लेने में दिक्कत, दिल की धड़कन बढ़ जाना और सीने में दर्द जैसी समस्या भी होती है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए वरना इसके परिणाम घातक साबित हो सकते हैं। - पैनिक अटैक और एंजाइना के लक्षण काफी मिलते-जुलते होते हैं इसलिए इसे मेडिकल जांच और ईसीजी द्वारा ही पता किया जा सकता है कि यह महज एक पैनिक अटैक है या मरीज को हार्ट संबंधित कोई बीमारी है। कहीं ब्लड वेसल्स में कोर्इ ब्लॉकेज तो नहीं, क्योंकि एंजाइना पेन तभी होता है जब ब्लड सर्कुलेशन ठीक न हो और हार्ट में ब्लॉकेज हो। दोनों में ही पसीना आता है, घबराहट होती है। 

पैनिक अटैक और मिर्गी में फर्क 

- मिर्गी पैनिक अटैक से अलग होती है। यह काफी हद तक पैनिक अटैक जैसी ही होती है, लेकिन फिर भी मेडिकल साइंस इसे पैनिक अटैक नहीं मानता। - मिर्गी एक दिमागी बीमारी है, जिसमें इंसान को दौरा पड़ता है, वह हाथ-पैर पटकता है, बेहोश हो जाता है, कभी-कभी मरीज के मुंह से झाग भी निकलता है। - कभी-कभी जबर्दस्त तनाव की वजह से भी ऐसे लक्षण मरीजों में पाए जाते हैं लेकिन वह मिर्गी नहीं होती है।


किस वजह से आता है पैनिक अटैक 

- पैनिक अटैक की कोई खास वजह नहीं होती है। कभी-कभी तो यह तब भी होता है जब आप आरामदायक स्थिति में होते हैं या फिर सो रहे होते हैं। - इसका कनेक्शन जीवन में हो रहे बड़े बदलावों के दौरान भी देखा गया है, जैसे युवाओं में इसकी बहुत बड़ी वजह उनके जीवन में आई उथल-पुथल होती है। जैसे तलाक हो जाना, नौकरी छूटने का डर या नौकरी का छूट जाना, बहुत ज्यादा तनाव होना, किसी नजदीकी की मौत हो जाना या फिर प्रेग्नेंसी के दौरान। लंबे वक्त तक किसी बड़ी बीमारी की चपेट में रहने या ब्रेकअप होने के बाद भी कई बार पैनिक अटैक होता है। किसी महत्वपूर्ण डील और प्रॉजेक्ट के कैंसल और पूरा न हो पाने का डर भी पैनिक अटैक देता है। 

- जिंदगी में घटा कोई बुरा हादसा पैनिक अटैक की वजह हो सकता है। ट्रॉमा से गुजरे लोगों में भी पैनिक अटैक होने की आशंका बनी रहती है। - किसी-किसी को भीड़, लिफ्ट आदि के माहौल में भी पैनिक अटैक होता है और वे इसमें दोबारा जाने से बचने लगते हैं। - कई बार पैनिक अटैक की वजह मेडिकल कंडिशन भी होती है। अगर पैनिक अटैक ऐसी किसी वजह से हो रहा है तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं। 




किसे होता है सबसे ज्यादा 
- अक्सर पैनिक अटैक युवा और मिडिल एज वालों में देखा गया है। जो लोग लगातार टेंशन में रहते हैं और ढेर सारी जिम्मेदारियों के बीच काम कर रहे होते हैं, उनमें भी होता है। - जॉब जाने के रिस्क में काम कर रहे लोगों को पैनिक अटैक पड़ते देखा गया है। - कॉम्पिटिशन में बैठने वाले स्टूडेंटस भी इस तरह के पैनिक अटैक की चपेट में आ जाते हैं। - बुजुर्गों में पैनिक अटैक होने की वजह हमेशा कोई न कोई बीमारी ही होती है। वह दिल की बीमारी भी हो सकती है और डायबीटीज, बीपी या अस्थमा भी। - कभी-कभी लिफ्ट में कोई हादसा हो जाना या किसी तरह के अपराध का शिकार हो जाना भी इसकी वजह है। भीड़-भाड में अनहोनी घटना की चपेट में आए लोग अक्सर इसके मरीज बन जाते हैं। - महिलाओं में पैनिक अटैक पुरुषों की तुलना में ज्यादा देखने को मिलते हैं। महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा दबाव में काम करती हैं। - महिलाएं जब तक बहुत ज्यादा बीमार न हो जाएं, अपनी हेल्थ को नजरअंदाज करती रहती हैं। लंबे वक्त तक तनाव में रहने की वजह भी उनमें पैनिक अटैक की आशंका बढ़ जाती है। 



ऐसे में हो जाएं सावधान 
- डायबीटीज के मरीज का शुगर लेवल अचानक गिर सकता है और घबराहट में वह पैनिक अटैक का शिकार हो जाता है। ऐसे लोगों को ज्यादा देर तक भूखा नहीं रहना चाहिए। डायबीटीज, ब्लड प्रेशर, दिल के मरीज, थायरॉयड और अस्थमा के मरीजों के लिए इस तरह का अटैक 'वॉर्निंग सिग्नल' भी हो सकता है। - बीपी के मरीजों का बीपी लो हो या हाई, दोनो ही कंडिशन में उन्हें सतर्क रहना चाहिए। - बीपी और हार्ट पेशंट्स का दिल जोर-जोर से धड़कने लगे, घुटन महसूस हो, हाथ पैर कांपने लगें, अचानक चक्कर आने लगें, तो उन्हें अलर्ट हो जाना चाहिए। - अस्थमा के मरीजों में पैनिक अटैक के दौरान सांस रुकने लगती है या रुकने का अहसास होता है। लगता है, अब नहीं बचेंगे। - आपके व्यवहार में पैनिक अटैक की वजह से बदलाव आने लगें, जैसे पहले जहां अटैक आया है, वहां जाने से डर लगने लगे। ऐसी किसी भी स्थिति में डॉक्टर से मिलकर कंसल्ट करना चाहिए। 


कभी भी हो सकता है पैनिक अटैक पैनिक अटैक होता तो सिर्फ कुछ मिनटों के लिए है पर इसका असर पूरे जीवन और लाइफस्टाइल पर पड़ता है। 

पैनिक अटैक कहीं भी, कभी भी आ सकता है। इंटरव्यू देते हुए सोते वक्त सड़क पर चलते हुए शॉपिंग करते हुए ड्राइव करते हुए घर में बैठे हुए दोस्तों के बीच 

पैनिक अटैक अचानक होता है और 10 मिनट में यह पीक पर पहुंच जाता है। अमूमन अटैक 20-30 मिनट का होता है। अटैक के बाद इसके होने का डर ही अगले पैनिक अटैक का कारण बनता है। अक्सर देखा गया है कि जहां भी पैनिक अटैक आता है, लोग वहां जाने से घबराने भी लगते हैं। 

जब साथी को पड़े पैनिक अटैक 
- इस अटैक के पीछे मन का डर है इसलिए जिसे अटैक पड़े, उसका हाथ पकड़कर उसे सांत्वना देने से राहत मिलती है। - जिसे अटैक पड़ा है, उसकी बातें सुनें, चाहे वह कुछ भी कह रहा हो। उसके बीच में कतई न बोलें और उसकी हां में हां मिलाएं। - अगर मरीज की हालत में 10 मिनट के भीतर सुधार होता न दिखे तो जल्द-से-जल्द हॉस्पिटल या डॉक्टर के पास जाएं। - अगर घर के आस-पास या फिर जहां भी मरीज है, वहां जनरल फिजिशन है तो वहां ले जाएं। - जिसे पैनिक अटैक आया है, अगर उसकी कोई मेडिकल हिस्ट्री नहीं है तो मरीज को खुली जगह पर लिटाएं और उसके कपड़े ढीले कर दें। 
जब पड़े पैनिक अटैक 
- खुद से सबकुछ ठीक हो जाने की बात करें, शांत बैठकर गहरी सांसें लें। ऐसा करने से शरीर व दिल की धड़कन सामान्य हो जाती है। - कुछ सेकंड्स के लिए अपनी सांस रोकें, अपने सिर को कभी दाएं, कभी बाएं हिलाएं। - ठंडा पानी पिएं। ओआरएस का घोल या नीबू पानी ले सकते हैं। इससे शरीर को ठंडक मिलेगी और शरीर नॉर्मल हो जाएगा। 

बदलें लाइफस्टाइल - ऑयली फूड, जंक फूड न खाएं। वक्त-बेवक्त खाने से बचें - मॉर्निंग वॉक को जीवन में शामिल करें। - योग करें, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार हो। - मेडिटेशन से भी फायदा होता है। 



एक्सपर्ट्स पैनल डॉ. अनूप मिश्रा, डायबीटीज स्पेशलिस्ट, फोर्टिस सी डॉक डॉ. के. के. अग्रवाल, हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ. राजेश सागर, साइकायट्रिस्ट, एम्स डॉ अनिल बंसल, जनरल फिजिशन 

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