Wednesday 25 February 2015

हम बेहतर इसे बनाएं और इसका लाभ उठाएं 'रेलवे'


पूजा मेहरोत्रा
 मेरा मानना है कि रेलगाड़ियों में चलने वाले ही देश का असली चेहरा हैं। और वही देश का असली प्रतिनिधित्व भी करते हैप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दिसंबर, 2014 में यह बात मान ही चुके हैं। अरे भाई वो चाय भी तो रेल में ही बेचते थे। जब रेलवे के निजीकरण की अटकलें लगाई जा रही थी तब उन्‍होंने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार भी कर ही दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि रेलवे देश के आर्थिक विकास की रीढ़ है और उन्‍हें उम्‍मीद भी थी कि इसका बेहतर उपयोग कर ज्यादा से ज्‍यादा पैसा कमाया जा सकता है
लेकिन रेल हादसों का क्‍या करें। हमारी सबसे बडी समस्‍या भी वही हादसे हैं। अगर आंकडो पर नजर डालें तो अक्तूबर, 2014 तक 18,735 लोगों ने विभिन्न रेल हादसों में अपनी जान गंवाई है। 5 हजार मौतें तो सिर्फ नॉर्दन रेलवे के अंतगर्त ही हुई हैं (अभिशेक कुमार की रिपोर्ट से)। मानव रहित रेलवे क्रासिंग रेल दुर्घटना की सबसे बडी समस्‍या है। सबसे ज्‍यादा लोग भी इन्‍हीं 12हजार मानवरहित रेलवे क्रासिंगों पर अपनी जान गंवाते हैं। नितीश जी से लेकर लालू तब दीदी तक ने मानवरहित रेलवे फाटक के लिए  कई कई योजनाओं की बात की थी। न योजनाएं बनाई गईं और न ही दुर्घटनाएं ही कम हुईं।
रेलवे अपने आर्थिक संक्रमण के दौर से गुजर रही है। रेलवे जितना कमाती है उसका 94 फीसदी अपने कर्मचारियों के वेतन से लेकर  उसके रखरखाव पेंशन, मेंटेंनेंस आदि पर खर्च कर देती है। बाकी छह रुपए जो बचते हैं पूर्व रेलमंत्री सदानंद जी लाचारी दिखाते हुए कह गए थे कि वही पैसे आगामी प्रोजेक्‍ट में खर्च होते हैं। जिससे रेलवे का विकास उतनी तेजी से नहीं हो पाता जिस तेजी से होना चाहिए।
 वैसे जितनी मेरी समझ है रेल मंत्री साहब को थोडी चालाकी अपनाते हुए रेलवे की खाली पडी करोडों एकड जमीनों को र्कॉ‍मशियल यूज के लिए योजना बनाने के विषय में कुछ सोचना चाहिए। रेलवे प्‍लेटफॉर्म जो इतने लंबे लंबे हैं वहां यात्रियों की सुविधाओं को ध्‍यान में रखते हुए कुछ नए प्रकार की योजनाएं और सुविधाएं आदि मुहैया कराने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहज नई योजनाएं बनानी चाहिए। रेल देश के विकास की आवश्‍यकता है। देश के विकास में रेलवे का जितना योगदान है, उसके मद्देनजर रेलवे के संसाधन बढ़ाने भी  बहुत जरूरी हैं। लेकिन रेलवे की हालत भी देश के उस गरीब परिवार की तरह है जो न तो अपनी ही जरूरते पूरी कर पा रहा है और न ही परिवार वालों को आगे बढाने के लिए कुछ आवश्‍यक कदम उठा पा रहा है। रेलवे के पास न तो पैसे हैं और न ही उसे पैसे मिल ही रहे हैं और खर्चा घटने का नाम ही नहीं ले रहा है।
अभिषेक कुमार अपनी एक रिपोर्ट में लिखते हैं कि आर्थिक रूप से रेलवे की डगमगाती नैया को छठे वेतन आयोग से ही करारा झटका मिला था। उसे अपने 25 लाख से अधिक रेलवे कर्मचारियों और पेंशन भोगियों को भुगतान करने के लिए 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने पड़े थे। हालत यह हो गई है कि खर्च चलाने के लिए भारतीय रेलवे को वित्त मंत्रालय से कर्ज लेना पड़ा।

 रेलवे अगर अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए यात्री किराये व माल भाड़े में बढ़ोतरी करता है तो उसे पूरे देश से नाराजगी झेलनी पडेंगी। केंद्र सरकार ऐसा कोई भी कदम उठाने की स्थिति में नहीं है।  रेलवे में यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं से हम सब वाकिफ हैं आज लगभग हर खबरिया चैनल अपनी अपनी तरह से रेलवे की खस्‍ता हालत को दिखा रहे हैं। सुविधाओं के नाम पर गंदी ट्रेन, लेट ट्रेन, असुरक्षित ट्रेन।
कहा तो ये जा रहा है कि आज पेश होने वाले रेल बजट में यात्री किराये बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं होगा। माल भाड़े में पहले ही इतनी बढोतरी हो चुकी है कि यदि अगर इसमें जरा सी बढोतरी हुई तो सड़क के रास्ते माल ढुलाई सस्ती लगने लगेगी। ऐसे में अपनी आमदनी बढाने के लिए रेलवे को कोई ठोस कदम उठाना होगा। या तो वो यात्री किराया में जबरदस्‍त बढोतरी करे, या फिर माल ढुलाई बढाए।  या फिर कोई नई योजनाएं न पेश करे और पहले पुराने वादे पूरे करे।
रेलवे के जानकार कहते हैं कि यदि रेलवे अपनी भावी विस्तार योजनाओं से फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण पर पहले काम करे क्योंकि इससे उसे यात्री किरायों के मुकाबले ज्यादा कमाई होगी और उससे मिलने वाले राजस्व का इस्तेमाल वह यात्री सुविधाओं व रेल फाटकों पर कर्मचारियों की नियुक्ति या रेल पटरियों की मरम्मत में कर सकेगी।

देश की जरूरत और प्‍लेटफॉर्म पर यात्रियों की बढती तादाद पर अगर नजर डालें तो रेल मार्गों और ट्रेनों की संख्या की जबरदस्‍त कमी दिखाई देती है। रेलवे में सुविधाओं का अभाव की बात तो हर बजट से पहले चैनल से लेकर अखबार तक उजागर करते ही हैं। गाहे बगाहे रेलवे की कारगुजारियों की खबरें भी आती ही रहती है। हम भी रेलवे में सफर के दौरान हर उन बातों से दो चार होते रहते है। ऐसे में जरूरी यही है कि रेलवे सबसे पहले यात्रियों की सुविधाओं, सुरक्षा और उन्‍हें गंतव्‍य तक सुरक्षित पहुंचाने की ओर ध्‍यान दे। साथ ही इंजन, डिब्बों, ट्रैक व सिग्नलिंग सिस्टम की मेंटेनेंस और ओवरहॉलिंग का काम भी दुरुस्त करे।

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