मोदी जी सुनिए, नडडा जी आप भी सुनिए, जेटली जी कान इधर जरा पैना कर के लाइए, अरे अरे आप कहां भागे जा रहे हैं राजनाथ जी आपको भी सुनना पड़ेगा। फडनवीस जी को बुलाइए और उन्हें भी कहिए सुनने को।
89 लोग बेमौत मरे हैं। पता नहीं कितनी और जाने लेगी ये जहरीली दारू। कई लोग अभी भी भर्ती हैं, कभी भी उनकी जान जा सकती है।
अरे मीडिया वाले खासकर खबरिया चैनल वाले कहां रामदेव को फुटेज दिए जा रहे हैं। अरे अरे जरा सोशल रिस्पॉिसिबिलिटी निभाइए। क्या गरीबी आपको टीआरपी नहीं देती और विज्ञापन् भी नहीं आएगा। ओह इसलिए आपलोग पतंजलि के विज्ञापन के लिए रामदेव को पकड़े हुए हैं।
तनि कैमरा फडनवीस के पीछे लगाइए। पूछिए क्या जवाब है उनके पास। पुलिस वालों को सस्पेंड करके कुछ नहीं हाेगा। दिखावा मत कीजिए। सवाल कीजिए। वैसे ही दारू दहन कराइए, कसम खिलाइए जैसे बच्चों से मैगी का दहन करा रहे थे।
मुंबई की समस्या सिर्फ पानी नहीं दारू भी है जहरीली दारू। मैगी से ज्यादा जहरीली थी ये दारू तभी दो घूंट जाते ही कई परिवार बर्बाद हो गए हैं। किसी का सुहाग, किसी का चिराग और किसी का साया तो किसी का सबकुछ उजड़ गया है। बच्चे अनाथ हो गए हैं। सुहाग उजड गया है। गोद खाली हो गई है। बूढी आंखे सूनी हो गईं है, पापा अब कभी नहीं आएंगे बच्चों की आंखे सवाल कर रही हैं, बीबी यह समझ नहीं पा रही है कि घर संभाले कि मातम मनाए।
माना कि वे गरीब थे। बड़े व्यवसाई नहीं थे जो टैक्स भरते हैं। उनके दोस्त मोदी जी नहीं हैं नही फडनवीस जी और न ही राहुल जी। तो क्या बेचारे यूंही मरते रहेंगे। कहां जाएं।
मोदी जी वो भी इसी देश के नागरिक थे। भले वे चाय नहीं बेचते थे, अंग्रेजी नहीं बोलते थे, लेकिन थे तो इसी देश के नागरिक। मजदूर थे। सिटी मेकर थे। शहर साफ करते होंगे, फैक्ट्री में काम करते होंगे। कुछ बीएमसी में नौकरी करते होंगे। किसी बड़े आदमी को पानी पिलाते होंगे। कहीं न कहीं से किसी न किसी रूप में देश के काम आते ही होंगे। सुन रहे हैं आप।
वादे बडे बड़े जब कारनामा का वक्त आया तो चुप्पी। मोदी जी सुनिए। अरे बिग बी कहां है, एक रुपया से सब मजदूर को लुभा रहे हैं। गरीबों के लिए एक टवीट भी नहीं। आप भी सुनिए। योग तो तब करेंगे न जब वे बचेंगे। बचेंगे तब जब शराब पीना बंद करेंगे। तो क्या सोचा है आपने। गुजरात को तो आपने ड्राइ स्टेट घोषित कर रखा था देश को कब घोषित करेंगे। क्या ये जानें आपकी नजर में जानें नहीं थी। आप सुन रहे हैं क्या
वो दो घूंट अपनी जिंदगी की थकान मिटाने के लिए पी थी जिंदगी गंवाने के लिए नहीं। उनकी जान जाने में दो मिनट भी नहीं लगा। मजाक नहीं थी वो जानें, जो यूंही दो घूंट अंदर जाते ही निकल गईं हैं। एक दो नहीं पूरे 87 लोग मारे गए हैं पता नहीं कितनी और जाने जाएंगी।
मैगी पर तो पूरा देश एक हो गया था, तुफान मचा दिया था। आनन फानन में 3 महीने का प्रतिबंध भी लगा दिया। सुबह शाम दिन रात किचाइन ही किचाइन मैगी बस दो मिनट के नाम पर खबरें चला रहे थे। फुटेज के लिए मैगी दहन, बच्चों से करा रहे थे। अब जरा दारू की भरी बोतल का दहन तो कराइए। मोदी जी सुन रहे हैं, क्या सोच रहे हैं। रोकिए इस जहर को। ये भी इसी देश के नागरिक थे।
89 लोग बेमौत मरे हैं। पता नहीं कितनी और जाने लेगी ये जहरीली दारू। कई लोग अभी भी भर्ती हैं, कभी भी उनकी जान जा सकती है।
अरे मीडिया वाले खासकर खबरिया चैनल वाले कहां रामदेव को फुटेज दिए जा रहे हैं। अरे अरे जरा सोशल रिस्पॉिसिबिलिटी निभाइए। क्या गरीबी आपको टीआरपी नहीं देती और विज्ञापन् भी नहीं आएगा। ओह इसलिए आपलोग पतंजलि के विज्ञापन के लिए रामदेव को पकड़े हुए हैं।
तनि कैमरा फडनवीस के पीछे लगाइए। पूछिए क्या जवाब है उनके पास। पुलिस वालों को सस्पेंड करके कुछ नहीं हाेगा। दिखावा मत कीजिए। सवाल कीजिए। वैसे ही दारू दहन कराइए, कसम खिलाइए जैसे बच्चों से मैगी का दहन करा रहे थे।
मुंबई की समस्या सिर्फ पानी नहीं दारू भी है जहरीली दारू। मैगी से ज्यादा जहरीली थी ये दारू तभी दो घूंट जाते ही कई परिवार बर्बाद हो गए हैं। किसी का सुहाग, किसी का चिराग और किसी का साया तो किसी का सबकुछ उजड़ गया है। बच्चे अनाथ हो गए हैं। सुहाग उजड गया है। गोद खाली हो गई है। बूढी आंखे सूनी हो गईं है, पापा अब कभी नहीं आएंगे बच्चों की आंखे सवाल कर रही हैं, बीबी यह समझ नहीं पा रही है कि घर संभाले कि मातम मनाए।
माना कि वे गरीब थे। बड़े व्यवसाई नहीं थे जो टैक्स भरते हैं। उनके दोस्त मोदी जी नहीं हैं नही फडनवीस जी और न ही राहुल जी। तो क्या बेचारे यूंही मरते रहेंगे। कहां जाएं।
मोदी जी वो भी इसी देश के नागरिक थे। भले वे चाय नहीं बेचते थे, अंग्रेजी नहीं बोलते थे, लेकिन थे तो इसी देश के नागरिक। मजदूर थे। सिटी मेकर थे। शहर साफ करते होंगे, फैक्ट्री में काम करते होंगे। कुछ बीएमसी में नौकरी करते होंगे। किसी बड़े आदमी को पानी पिलाते होंगे। कहीं न कहीं से किसी न किसी रूप में देश के काम आते ही होंगे। सुन रहे हैं आप।
वादे बडे बड़े जब कारनामा का वक्त आया तो चुप्पी। मोदी जी सुनिए। अरे बिग बी कहां है, एक रुपया से सब मजदूर को लुभा रहे हैं। गरीबों के लिए एक टवीट भी नहीं। आप भी सुनिए। योग तो तब करेंगे न जब वे बचेंगे। बचेंगे तब जब शराब पीना बंद करेंगे। तो क्या सोचा है आपने। गुजरात को तो आपने ड्राइ स्टेट घोषित कर रखा था देश को कब घोषित करेंगे। क्या ये जानें आपकी नजर में जानें नहीं थी। आप सुन रहे हैं क्या
वो दो घूंट अपनी जिंदगी की थकान मिटाने के लिए पी थी जिंदगी गंवाने के लिए नहीं। उनकी जान जाने में दो मिनट भी नहीं लगा। मजाक नहीं थी वो जानें, जो यूंही दो घूंट अंदर जाते ही निकल गईं हैं। एक दो नहीं पूरे 87 लोग मारे गए हैं पता नहीं कितनी और जाने जाएंगी।
मैगी पर तो पूरा देश एक हो गया था, तुफान मचा दिया था। आनन फानन में 3 महीने का प्रतिबंध भी लगा दिया। सुबह शाम दिन रात किचाइन ही किचाइन मैगी बस दो मिनट के नाम पर खबरें चला रहे थे। फुटेज के लिए मैगी दहन, बच्चों से करा रहे थे। अब जरा दारू की भरी बोतल का दहन तो कराइए। मोदी जी सुन रहे हैं, क्या सोच रहे हैं। रोकिए इस जहर को। ये भी इसी देश के नागरिक थे।
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