Sunday 22 November 2015

तुम जियाे हजारों साल..... साल के दिन कभी खतम ही न हों....

बड़ा खास दिन है। अगर ये दिन न होता तो हम न होते। हम ये दुनिया न देख पाते। जिंदगी क्या है और उसकी मुश्किलें क्या हैं - न जान पाते। इन मुशिकलों से कैसे निकलना है सीख न पाते।

 जिंदगी आसान तो कभी नहीं होती। हर कदम पर लगता है बस अब और नहीं लेकिन हर समय बदलता है... मुश्किलों से निकलना आप तभी सीख पाते हैं जब  आपमें हिम्मत हो..हिम्मत यानि आपके अभिभावक.. अगर आप किसान के परिवार से आते हो ता जिंदगी से लड़ना तो बचपन में ही आ जाता है...समय किसान के बच्चों को बचपन में ही बड़ा बना देता है। गुड्डा गुड़िया.. तो देख भी लें लेकिन कई ऐसी चीजें हैं जिसके बिना ही आपको जीना है यह आपको समय ही बता देता है ..आठ साल की उमर् में ही २० साल वालों जैसी अक्ल आ जाती है ..हर छोटी छोटी ख्वाहिशों के पूरा होने में ऐसे दम निकला करता है जैसे....हर बदलते मौसम में फसलों पर होते हैं आपके सपने और वे भी तब धुल जाते हैं जब उनपर आंधी तुफान पानी फेर जाता था। फिर आपके सपने अगले मौसम और फसल पर निर्भर हो जाते हैं। इन ख्वाबों के टूटने बिखरने के बीच जो कभी नहीं टूटती है वह हैं उम्मींदें...इसकी वजह होते हैं आपके पापा और मां। मुश्किल से मुशकिल दौर निकलता ही जाता है और निकल ही गया.. आप सोचते हैं शायद अब कठिन समय बीत गया है। अब शायद मुश्किलें थक गईं है लेकिन जिंदगी में अचानक एक ऐसा पल आता है और कहता है गलत। मुश्किलें तो अब शुरू होती हैं..
 जिंदगी है तो मुश्किलें हैं।

सोचा था कुछ अलग करुंगी..कर भी रही थी...किसी ने नहीं सोचा था कि मैं दिल्ली आउंगी और पीछे पलटूंगी ही नहीं. पत्रकार ये क्या होता है?? तेज तरार्र बिटिया और उससे जुड़ी डॉक्टर, इंजीनियर बनने की और उसके बाद आइएएस बनने की उम्मींदे..सब तोड़ ही दिया था मैनें.. लालू यादव युग में आइएएस की स्थिति ने ..उफ्फ...पर विश्वास था खुदपर और आपदोनो की दी हुई हिम्मत पर। कुछ अलग की सोच ने पत्रकार बना दिया...मैनें कई कई बार साबित भी किया की मैं गलत नहीं हू...लेकिन शायद हार से मेरा नाता पुराना है...जब जब सोचती हूं शायद परीक्षा की घड़ी खतम हो गई है तभी एक ऐसी कठिन परीक्षा सामने खड़ी होती है कि ... जिंदगी में ऐसा आंधी तुफान आया है कि रुक ही नहीं रहा है..कई मौसम आए और गए। हर मौसम की फसल ने धोखा ही दिया है..दुख तब गहरा हो गया जब सूखी फसल पर शुभचिंतको नें कभी पानी डाल दिया तो कभी आग ही लगा दी...लेकिन उम्मीद को टूटने नहीं दिया है।
हर ख्वाहिश पर दम निकलने निकलने को होता है लेकिन आपका चेहरा आपकी सीख हमेशा कानों में गूंजती रहती है..आपने कहा-
 सूरज न बन पाए तो बन कर दीपक चलता चल...
आपने कहा दुश्मन ताकतवरो के ही होते हैं..
समय मजबूत लोगों की ही परीक्षा लेता है..
कमजोर तो हमेशा दूसरो के काम बिगाड़ने में लगे होते हैं...
आपने कहा बकरी के बच्चे को तभी तक टोकरी के नीचे रखा जा सकता है जब तक बच्चे में ताकत नहीं होती है..जिन दिन बच्चा ताकतवर हो जाता है उसके बाद उसे टोकरी में रखना मुशकिल ही नहीं नामुमकिन है ..
.ठीक है सारी बातें..अमल भी कर रही हूं लेकिन समय शायद हराने को तैयार है जब समय पर जीत हांसिल कर लेती हूं तो दोस्त और शुभचिंतक रूपी दानव मुंह बाए सामने खड़े मिल जाते हैं जो लहलहाती फसल उजाड़ देते हैं। इनसे कैसे बचूं?

आपको देखा है रात रात भर जागते हुए..हमारे सपनों के लिए सिक्के जोड़ते हुए...आज जब समय हमें हराने को तैयार है तो मैनें भी उम्मीद न छोड़ते हुए कहना सीख लिया है...कुछ न कुछ नही जो भी होगा बढ़िया ही होगा...इस खास दिन पर मैं कहना चाहती हूं कि हम चारों भाग्यशाली हैं। हमारे सिर पर आपका आशिर्वाद रूपी हाथ हैं। जन्मदिन की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं..तुम जिया हजारों साल...साल के दिन कभी खतम ही न हों...
 

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